डॉ एस एन सुब्बा राव ने अपना पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित कर दिया था। डॉ एस एन सुब्बा राव ने चंबल घाटी को डकैतों के आतंक से मुक्त कराया था। उंहोने एक साथ 672 डकैतों को सामूहिक सरेंडर करवाकर पूरी घाटी में शांति कायम कर दी थी। डॉ राव के इस चंबल अंचल में शांत के लिए किए कार्य की वजह से पूरे देश में लोकप्रियता हासिल हुई थी।
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साल 1970 में चंबल में डकैतों का आतंक था पूरे इलाके में लोगों का जीवन ठहर सा गया था इसी के चलते ये अंचल विकास से अछूता रह गया। आखिर गांधीवादी विचारक डॉ सुब्बा राव की मेहनत रंग लाई और 14 अप्रैल 1972 को गांधी सेवा आश्रम जौरा में समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण एवं उनकी पत्नी प्रभादेवी के सामने डकैतों का सामूहिक आत्मसमर्पण कराया था। इनमें से बड़ी संख्या में डकैतों ने जौरा के आश्रम और 100 डकैतों ने मुरैना से लगे राजस्थान के जिले धौलपुर में गांधीजी की तस्वीर के सामने सरेंडर किया था। पूरे ग्वालियर-चंबल अंचल में डॉ सुब्बा राव को प्यार से लोग भाईजी कहते थे। डॉ सुब्बा राव ने जौरा गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी, यही उनकी कर्मभूमि रही। इसलिए डॉ राव के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।