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जिंक व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और मेटाबॉलिज्म को सही भी करता है। कोरोना के चलते मरीज की स्वाद और गंध पहचानने की क्षमता को फिर से लाने में मददगार भी होता है। इसी कारण कोरोना मरीजों को चिकित्सक जिंक की टैबलेट लिख रहे हैं।
इन दिनों कोरोना संक्रमण के चलते फंगस के मामलों में भी वृद्धि देखने को मिली है। ब्लैक फंगस को बहुत से राज्यों ने महामारी घोषित कर दिया है। यूपी के गाजियाबाद में एक कोरोना मरीज के शरीर में येलो फंगस मिला है। जांच में पता चला है कि यह येलो फंगस छिपकली, सांप, मेढक, गिरगिट जैसे रेप्टाइल वर्ग के जंतुओं में पाया जाता है और यह जिंक की मौजूदगी में पनपता है। जो कोरोना मरीज जिंक टैबलेट्स खा रहे हैं, ऐसे में येलो फंगस भी इंसानों में बढ़ रहा है। वहीं आयरन की इंसानी शरीर में अधिकता के चलते ब्लैक फंगस का संक्रमण बढ़ने की बात कही जा रही है।
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ब्लैक और व्हाइट के बाद येलो फंगस के मामले भी सामने आने लगे हैं। इसके लक्षणों की बात करें तो इनमें सुस्ती, थकान, वजन कम होना, भूख ना लगना, शरीर में इंफेक्शन की जगह पर मवाद भी पड़ जाती हैं।
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार येलो फंगस इंसानों में नहीं पाया जाता। अभी तक इंसानों में मिलने वाले फंगस इंफेक्शन में सबसे खतरनाक ब्लैक फंगस को बताया गया है। ब्लैक फंगस खून में मिलने के बाद और भी खतरनाक हो जाता है। मरीज के इलाज में देरी होने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है और यह संक्रमण ब्रेन तक पहुँचने से जान भी जा सकती है।