पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं
प्यास बुझाने के साथ ही पानी शरीर को डिटॉक्स भी करता है। हर एक-दो घंटे से एक गिलास पानी पीएं। अक्सर लोग काम के दबाव से पानी पीने पर ध्यान नहीं देते, जबकि यह शरीर से विषैले पदार्थ भी बाहर निकालता है।
प्यास बुझाने के साथ ही पानी शरीर को डिटॉक्स भी करता है। हर एक-दो घंटे से एक गिलास पानी पीएं। अक्सर लोग काम के दबाव से पानी पीने पर ध्यान नहीं देते, जबकि यह शरीर से विषैले पदार्थ भी बाहर निकालता है।
आंत साफ करेगा आंवला
2-3 हरे आंवले लेकर उन्हें कद्दूकस कर गर्म पानी में रातभर भिगो दें। सुबह उसके पानी में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर पीएं तो यह आंतों व पेट की सफाई करता है।
2-3 हरे आंवले लेकर उन्हें कद्दूकस कर गर्म पानी में रातभर भिगो दें। सुबह उसके पानी में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर पीएं तो यह आंतों व पेट की सफाई करता है।
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नींबू का रस व शहद
सुबह खाली पेट पानी में नींबू का रस, शहद या गुड़ मिलाकर पी सकते हैं। डायबिटीज के रोगी पानी में केवल नींबू का रस निचोड़कर ही पीएं। त्रिफला का काढ़ा
रात के समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण लें। कब्ज है ताो इसबगोल की भूसी के साथ लें। त्रिफला का काढ़ा भी इसमें उपयोगी होता है।
नींबू का रस व शहद
सुबह खाली पेट पानी में नींबू का रस, शहद या गुड़ मिलाकर पी सकते हैं। डायबिटीज के रोगी पानी में केवल नींबू का रस निचोड़कर ही पीएं। त्रिफला का काढ़ा
रात के समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण लें। कब्ज है ताो इसबगोल की भूसी के साथ लें। त्रिफला का काढ़ा भी इसमें उपयोगी होता है।
स्टीम (स्वेदन)
इससे भी शरीर से गंदगी बाहर निकलती है। सामान्य दिनों में सप्ताह में एक बार स्वदेन करें और गर्मी में डॉक्टरी सलाह से ही इसे करें। पंचकर्म के तरीके बसंत में कफ से ओबेसिटी, अस्थमा, एलर्जी आदि रोगों की आशंका रहती है। इसमें शरीर को डिटॉक्स करने के लिए वमन (उल्टी) कराते हैं।
इससे भी शरीर से गंदगी बाहर निकलती है। सामान्य दिनों में सप्ताह में एक बार स्वदेन करें और गर्मी में डॉक्टरी सलाह से ही इसे करें। पंचकर्म के तरीके बसंत में कफ से ओबेसिटी, अस्थमा, एलर्जी आदि रोगों की आशंका रहती है। इसमें शरीर को डिटॉक्स करने के लिए वमन (उल्टी) कराते हैं।
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वर्षा ऋतु में वातज वृद्धि से न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे पैरालिसिस व उदर में वात रोग की आशंका रहती है। इसके लिए थैरेपेटिक एनिमा लगाते हैं। शरद ऋतु में पित्त का प्रकोप बढऩे से सोरायसिस, एक्जिमा जैसे त्वचा रोग व ब्लड प्रेशर व ब्लड के रोग बढ़ जाते हैं। विरेचन (लूज मोशन) कराते हैं।
वर्षा ऋतु में वातज वृद्धि से न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे पैरालिसिस व उदर में वात रोग की आशंका रहती है। इसके लिए थैरेपेटिक एनिमा लगाते हैं। शरद ऋतु में पित्त का प्रकोप बढऩे से सोरायसिस, एक्जिमा जैसे त्वचा रोग व ब्लड प्रेशर व ब्लड के रोग बढ़ जाते हैं। विरेचन (लूज मोशन) कराते हैं।
डिटॉक्स चाय
अदरक, जीरा, धनिया, थोड़ी-सी दालचीनी व कुछ तुलसी के पत्तों को पानी में मिलाकर उबाल लें। इसमें थोड़ा-सा गुड़ भी मिलाकर पीएं। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर शरीर के दूषित चीजों को यूरिन के रास्ते निकालता है।
अदरक, जीरा, धनिया, थोड़ी-सी दालचीनी व कुछ तुलसी के पत्तों को पानी में मिलाकर उबाल लें। इसमें थोड़ा-सा गुड़ भी मिलाकर पीएं। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर शरीर के दूषित चीजों को यूरिन के रास्ते निकालता है।
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उबटन भी उपयोगी
त्वचा को डिटॉक्स करने के लिए उबटन का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा माना गया है। होली के आसपास उबटन लगाने का प्रचलन भी इससे ही जुड़ा हुआ है। इससे सर्दी के दिनों में त्वचा पर जमी मैल निकल जाती है।
एक्सरसाइज व योग
योग-व्यायाम से पसीना निकलता है। इसमें ब्रिस्क वॉक, रनिंग, सूर्य नमस्कार करें। पसीना निकलने से भी शरीर डिटॉक्स होता है। पर्याप्त नींद जरूरी
नींद भी शरीर को डिटॉक्स करने के लिए जरूरी है। सोने से एक-दो घंटे पहले आप सिर में मालिश करें और पर्याप्त नींद लें। थकान भी मिटेगी।
योग-व्यायाम से पसीना निकलता है। इसमें ब्रिस्क वॉक, रनिंग, सूर्य नमस्कार करें। पसीना निकलने से भी शरीर डिटॉक्स होता है। पर्याप्त नींद जरूरी
नींद भी शरीर को डिटॉक्स करने के लिए जरूरी है। सोने से एक-दो घंटे पहले आप सिर में मालिश करें और पर्याप्त नींद लें। थकान भी मिटेगी।
छोटे बच्चों के लिए
मसाज व व्यायाम के साथ ही शिशुओं की हथेलियां गर्म कर सिकाई कर सकते हैं। आठ वर्ष के बाद नस्य क्रिया कर सकते हैं।
मसाज व व्यायाम के साथ ही शिशुओं की हथेलियां गर्म कर सिकाई कर सकते हैं। आठ वर्ष के बाद नस्य क्रिया कर सकते हैं।