हिसार

आयुर्वेद में गंभीर बीमारियों का उपचार भी संभव: चौहान

एक तरफ जहां मेडिकल सांइस आए दिन नई-नई तकनीक की खोज कर रही है

हिसारDec 14, 2017 / 09:52 pm

शंकर शर्मा

चंडीगढ़। एक तरफ जहां मेडिकल सांइस आए दिन नई-नई तकनीक की खोज कर रही है वहीं बदलते समय के साथ अब भारत की पारंपरिक एवं सदियों पुरानी आयुर्वेद पद्धति भी बड़ी तेजी से फैल रही है। लोगों में अब अन्य बीमारियों के साथ-साथ आर्थराइटिस जैसी बीमारियों के उपचार हेतु आयुर्वेद के प्रति रूझान तेजी से बढ़ रहा है। क्योंकि आयुर्वेद भारत की अपनी सदियों पुरानी उपचार पद्धति है। आदिकाल से ही आयुर्वेद में गंभीर से गंभीर बीमारी का उपचार संभव है।


जीवा आयुर्वेद के निदेशक डाक्टर प्रताप चौहान ने आज यहां पत्रकार वार्ता के ट्राईसिटी में रहने वाले कुछ ऐसे रोगियों को मीडिया के समक्ष पेश किया जिनका आयुर्वेदिक पद्धति के साथ ऑस्टियो आर्थराइटिस का सफल उपचार किया गया है। डाक्टर चौहान ने स्वीकार किया कि हमारे वैज्ञानिकों को आयुर्वेद के क्षेत्र में अभी काफी काम करने की जरूरत है। क्योंकि यह पद्धति ऐसी है जिसका रोगी के शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।


उन्होंने बताया कि भारत विशेषकर हरियाणा व पंजाब जैसे राज्यों में ऑस्टियो आर्थराइटिस तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है। देश में हर साल इस बीमारी के कारण करीब 15 लाख लोग ग्रसित होते हैं। यह रोग शरीर के जोड़ों की कार्टिलेज के क्षतिग्रस्त होने से होता है।


जीरकपुर निवासी 54 वर्षीय गीतांजलि, 64 वर्षीय जसवंत कौर, सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुई 60 वर्षीय जसवंत कौर तथा 46 वर्षीय मनप्रीत कौर ने डाक्टर चौहान की उपस्थिति में बताया कि ‘जीवा आयुनिक सिस्टम’ से ऑस्टियो आर्थराइटिस का सफल उपचार करवाने के बाद उनका आयुर्वेद के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है।


क्योंकि आयुर्वेद पद्धति के माध्यम से किए गए उपचार में केवल औषधियाँ, आहार, व्यायाम और जीवनशैली से संबंधी परामर्श शामिल है। उन्होंने बताया कि यह आयुर्वेद की शक्ति है जिसमें अस्थाई लाक्षणिक आराम के बजाय प्रत्येक रोगी की रोग के मूल कारण पर आधारित विशेष प्रभावी चिकित्सा की जाती है।


इस अवसर पर बोलते हुए वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक डाक्टर अरुण गुप्ता ने बताया कि ऑस्टियो आर्थराइटिस का विशेष व्यक्तिगत आयुर्वेदिक चिकित्सा, आहार व जीवनशैली में उचित बदलावों द्वारा उपचार किया जा सकता है। प्रारम्भिक अवस्था में ही इसको पहचानना अति महत्वपूर्ण है इसलिए जोड़ों के किसी भी प्रकार के दर्द को लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अन्यथा इससे जोड़ों में स्थायी विकृति आ सकती है। डॉ.गुप्ता ने बताया कि आयुर्वेद उपचार में रोग के मूल कारण की चिकित्सा की जाती है जिससे क्षणिक लाभ के बजाए स्थायी लाभ मिलता है।

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