स्वास्थ्य

Balance Navel Displacement By Yoga Poses: योगासनों द्वारा नाभि खिसकने की समस्या को बड़ी आसानी से करें दूर

Balance Navel Displacement By Yoga Poses: चटाई बिछाकर उस पर पीठ के बल लेट जाएं। और घुटनों को मोड़ लें। दोनों हाथों को कंधे की सीध में फैला कर रख रख लें। इसके बाद दोनों पैरों को एक साथ दाईं तरफ ले जाते हुए चटाई तक ले जाने की कोशिश करें। जबकि सिर को इसके विपरीत दिशा में यानी पूरा बाईं ओर मोड़ें। थोड़ी देर रुक कर पैरों को वापस लाएं।

Jan 26, 2022 / 12:39 pm

Tanya Paliwal

नाभि हमारी शरीर का वह महत्वपूर्ण अंग है, जिसका संबंध हमारी सेहत से है। नाभि चक्र के अपने उचित स्थान से हटने पर कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। आयुर्वेद भी यही कहता है कि, अगर किसी व्यक्ति की नाभि अवस्थित रहती है, तो उसे कोई ना कोई शारीरिक समस्या झेलनी पड़ती है। सामान्यतः इसे नाभि खिसकना कहते हैं। जिसके कारण व्यक्ति को पेट दर्द, उल्टी, दस्त या हार्टबर्न जैसे लक्षण हो सकते हैं। नाभि खिसकने की समस्या के कुछ मुख्य कारणों में खेलना-कूदना, दौड़ना, अधिक भारी वस्तु उठाना या मल-मूत्र अधिक समय तक रोकना आदि शामिल हो सकते हैं। जिन व्यक्तियों को नाभि खिसकने की समस्या अक्सर होती रहती है वह बहुत परेशान हो जाते हैं। और तरह-तरह के उपाय करने लगते हैं। लेकिन कुछ योगासन ऐसे हैं जिनके माध्यम से नाभि को यथा स्थान पर लाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं नेवल डिस्प्लेसमेंट के समय किए जाने वाले योगासन…

1. अर्ध पवनमुक्तासन
फर्श पर आसन बिछाकर उस पर सीधे लेट जाएं। अब अपने बाएं पैर को छाती की तरफ मोड़ते हुए ले आएं और फिर दोनों हाथों से इस इस पैर को पकड़ें। थोड़ी देर रुकने के बाद हाथों को पैर से हटाकर जमीन पर रख लें और पैर को धीरे-धीरे जमीन पर ले जाएं। यही क्रिया अपने दाहिने पैर से भी दोहरानी है। इसे आप 4-5 बार कर सकते हैं।

 

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2. मरकटआसन
चटाई बिछाकर उस पर पीठ के बल लेट जाएं। और घुटनों को मोड़ लें। दोनों हाथों को कंधे की सीध में फैला कर रख रख लें। इसके बाद दोनों पैरों को एक साथ दाईं तरफ ले जाते हुए चटाई तक ले जाने की कोशिश करें। जबकि सिर को इसके विपरीत दिशा में यानी पूरा बाईं ओर मोड़ें। थोड़ी देर रुक कर पैरों को वापस लाएं। और फिर बाई ओर ले जाते हुए यही प्रक्रिया दोहराएं।

Yoga Poses For Navel Displacement Treatment
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3. उतानपादासन
जमीन पर आसन बिछाकर सीधे लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को एक साथ मिलाएं और धीरे-धीरे एक साथ ऊपर उठाने की कोशिश करें। ध्यान रखें कि आपको बहुत ज्यादा ऊपर तक पैरों को नहीं उठाना है। केवल जमीन से 30 डिग्री तक उठाएं। थोड़ी देर रुक कर फिर सांस छोड़ते हुए वापस पैरों को नीचे ले आएं। इसे तीन बार दोहराएं। फिर पैरों को जमीन से 60 डिग्री तक ऊपर उठाएं और इस क्रिया को भी तीन बार दोहराएं।

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4. अर्ध हलासन
जमीन पर आसन बिछाकर उस पर सीधे लेट जाएं। अब अपने दोनों पैरों को साथ में जमीन से 90 डिग्री का कोण बनाते हुए पूरा ऊपर की ओर ले जाएं। यानी कि आपके पैरों के पंजे आंखों की सीध में होने चाहिए। अब इसी पोजीशन में पंजों को ऊपर-नीचे करते हुए मोड़ें। इस क्रिया के दौरान पैर की पिंडलियों में हल्का दर्द महसूस हो सकता है। 4-5 बार पंजों को ऊपर-नीचे करके पैरों को धीरे-धीरे नीचे लाते हुए चटाई पर टिका लें।

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5. सेतुबंधासन
पीठ के बल चटाई पर पर लेट जाएं। घुटनों को मोड़ते हुए दोनों पैरों को कूल्हे के समीप रख कर दोनों हाथों से टखने को पकड़ लें। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे शरीर को ऊपर की ओर उठाएं। इसी पोजीशन में जितनी देर रूक सकते हैं, रूकें। और फिर पीठ को धीरे-धीरे जमीन पर लाकर पैर सीधे करके लेट जाएं। तीन-चार बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।

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