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अस्पतालों में होता है गलत इलाज!, नई रिपोर्ट में किया चौंकाने वाला खुलासा

Wrong treatment in hospitals : एक शोध में पता चला है कि अस्पतालों में हर 14 में से एक मरीज की बीमारी गलत डायग्नोज होती है। इससे बचने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में नए तरीकों को अपनाने की आवश्यकता है।

जयपुरOct 03, 2024 / 04:50 pm

Manoj Kumar

Wrong treatment happens in hospitals 1 in Every 14 Patients in Hospitals Gets a Wrong Diagnosis

Wrong treatment happens in hospitals 1 in Every 14 Patients in Hospitals Gets a Wrong Diagnosis

Wrong treatment in hospitals : हाल ही में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि अस्पतालों में हर 14 में से एक मरीज का निदान (Wrong treatment) गलत होता है। इस अध्ययन के अनुसार, गलत निदान (Wrong treatment) की समस्या स्वास्थ्य सेवाओं में गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है। इसे सुधारने के लिए चिकित्सा क्षेत्र में नई तकनीकों और उपायों की आवश्यकता है।

गलत निदान के मुख्य कारण The main reasons for Wrong treatment

बीएमजे क्वालिटी एंड सेफ्टी नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि अधिकांश गलत निदान (Wrong treatment) हार्ट फेलियर, एक्यूट किडनी फेलियर, सेप्सिस, निमोनिया, सांस की रुकावट, मानसिक स्थिति में बदलाव, पेट में दर्द, और हाइपोक्सिमिया (रक्त में ऑक्सीजन की कमी) जैसी बीमारियों में होते हैं। इन बीमारियों का सही समय पर निदान न होना मरीज की सेहत के लिए खतरे की घंटी हो सकता है।

गलत निदान की उच्च जोखिम वाली श्रेणियां High-risk categories of Wrong treatment

शोधकर्ताओं ने निदान की त्रुटियों की उच्च जोखिम वाली श्रेणियों का भी खुलासा किया है। इसके अनुसार, ऐसे मामलों में निदान की गलती (Wrong treatment) का खतरा ज्यादा होता है जब मरीज को भर्ती होने के 24 घंटे बाद या उससे ज्यादा समय बाद आईसीयू में स्थानांतरित किया जाता है। इसके अलावा, अस्पताल में भर्ती होने के 90 दिन के भीतर मरीज की मौत या जटिल चिकित्सा समस्याओं का सामना करने वाले मामलों को भी उच्च जोखिम में रखा गया है।

गलत निदान के परिणाम: गंभीर खतरे The consequences of misdiagnosis: serious dangers

अध्ययन में शामिल 154 मरीजों के 160 मामलों की समीक्षा से पता चला कि इनमें से 54 मामलों में मरीज को 24 घंटे बाद आईसीयू में स्थानांतरित किया गया, 34 मामलों में मरीज की 90 दिन के भीतर मौत हो गई और 52 मामलों में जटिल चिकित्सा समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, कम जोखिम वाले मरीजों में भी निदान में गलती की संख्या 20 थी।

त्रुटियों को रोकने के उपाय

शोध में कहा गया है कि निदान में होने वाली गलतियों को 85 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं में निगरानी के तरीकों को सुधारने की आवश्यकता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके निदान की त्रुटियों को कम किया जा सकता है।

एआई और निगरानी का सुधार: समय पर हस्तक्षेप की आवश्यकता

शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि एआई टूल्स को चिकित्सा वर्कफ्लो में शामिल करने से निदान की त्रुटियों (Wrong treatment) को कम किया जा सकता है। इन टूल्स के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मी सही समय पर हस्तक्षेप कर सकते हैं और गलत निदान को रोक सकते हैं। इसके साथ ही, त्रुटियों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने और निगरानी में सुधार करने की आवश्यकता भी व्यक्त की गई है।

गलत निदान की समस्या को हल करने की दिशा में कदम Steps towards solving the problem of misdiagnosis

यह शोध स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि निदान में त्रुटियों (Wrong treatment) की समस्या गंभीर है, लेकिन इसे रोका जा सकता है। चिकित्सा क्षेत्र में तकनीकी सुधार और निगरानी के उपायों को अपनाकर मरीजों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सकता है।

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