बच्चों के जैविक माता-पिता ने बच्चों के भ्रूणों को दान केन्द्र में उपहार स्वरूप दान दिया था। यह भ्रूण केवल उन जोड़ों को गोद लेने की अनुमति थी, जिनकी शादी को कम से कम तीन साल हो गए हो। इन बच्चों के दत्तक माता और पिता, राचेल और फिलिप रिजवे, क्रमशः तीन और पांच साल के थे, जब उनके बच्चों के भ्रूण फ्रीज कर दिए गए थे। इन भ्रूणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, क्योंकि इन्हें इनके माता-पिता दान कर देते हैं।
36 वर्षीय मिस्टर रिजवे ने का कहना है कि हमने जिसे भी इन बच्चों के बारे में बताया, वे हैरत में पड़ गए। भ्रूण को गोद लेने पहले हमारे दो से आठ साल के बीच के चार बच्चे थे, लेकिन हम फिर भी अपने परिवार का विस्तार चाहते थे। हमें अपनेे पहले तीन बच्चों के जन्म के लिए प्रजनन केन्द्र की सहायता लेनी पड़ी। उसके बाद 2020 में चौथा बच्चा प्राकृतिक रूप से हुआ। हमने हमेशा सोचा है कि हमें उतने बच्चे पैदा करने चाहिए, जितना भगवान हमें देना चाहते हैं। फिर हमने भ्रूण गोद लेने का प्लान बनाया और भूणदान केन्द्र गए। हमें वहां पता कि इन बच्चों के जैविक पिता की बीमारी के कारण मौत हुई है, उसके बाद भी हमने संकोच नहीं किया। आज दोनों बच्चे स्वस्थ है और उन्होंने अपना पहला जन्मदिन मनाया है।
आईवीएफ शिशु को गर्भ धारण करने के लिए उपलब्ध कई प्रजनन उपचारों में से एक है। इस प्रक्रिया के तहत अंडाशय से एक अंडा निकाला जाता है और एक प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है। फिर इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। भूण गर्भाशय के अंदर विकसित होता है।