सिगरेट पीने को भले ही सिर्फ फेफड़ों के कैंसर और दिल की बीमारी से जोड़ा जाता है, लेकिन तंबाकू का नुकसान इससे कहीं ज्यादा गंभीर है। सिगरेट के धुएं में 7,000 से ज्यादा रसायन होते हैं, जिनमें से कई जहरीले होते हैं और कम से कम 70 कैंसर पैदा करने के लिए जाने जाते हैं।
प्रजनन क्षमता को कम करता है तंबाकू
तंबाकू की वजह से सांस लेने में तकलीफ होने वाली बीमारी (सीओपीडी), वातस्फीति (एमफाइसीमा) और ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यह पेट के अल्सर का कारण बनता है, प्रजनन क्षमता को कम करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिससे शरीर संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाता है। नारायणा अस्पताल हावड़ा में श्वसन दवा और फेफड़ों के इलाज के विशेषज्ञ डॉ. अरिंदम दत्ता ने बताया कि “तंबाकू के धुएं में मौजूद टार तार बालों की तरह छोटे संरचनाओं को नुकसान पहुंचाता है, जो फेफड़ों में बलगम और गंदगी को साफ करने में मदद करते हैं। इससे ब्रोंकाइटिस और जानलेवा संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।”
डॉक्टर ने बताया कि ज्यादा सिगरेट पीने वालों, औद्योगिक श्रमिकों, अस्थमा के रोगियों और घर के अंदर या बाहर धुएं, धूल और प्रदूषकों के संपर्क में रहने वालों को सबसे ज्यादा खतरा होता है।
तंबाकू का दिल की सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। यह हृदय गति को बढ़ाता है, धमनियों को सिकोड़ता है और दिल की अनियमित धड़कन पैदा कर सकता है। तंबाकू में मौजूद रसायन धमनियों की परत को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे धमनियां संकरी और सख्त हो जाती हैं। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
निकोटीन रक्तचाप और हृदय गति को बढ़ाता है
धर्मशिला नारायणा अस्पताल में कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. समीर कूब्बा ने आईएएनएस को बताया कि “तंबाकू के धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटीन होता है, जो हृदय पर बोझ बढ़ाते हैं और इसकी कार्यक्षमता कम करते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन के साथ जुड़ जाता है, जिससे ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम हो जाती है। निकोटीन रक्तचाप और हृदय गति को बढ़ाता है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है। इन प्रभावों का समायोजन से कोरोनरी धमनी रोग, दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है।” उन्होंने आगे कहा कि “जिनके परिवार में दिल की बीमारी का इतिहास है, जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर या मधुमेह है और सभी उम्र के धूम्रपान करने वालों को ज्यादा खतरा होता है। इसके अलावा, तंबाकू का सेवन कैंसर का एक प्रमुख कारण है। तंबाकू में पाए जाने वाले कार्सिनोजेन्स जैसे नाइट्रोसामाइन और पॉलीसाइक्लिक सुगंधित हाइड्रोकार्बन डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं और शरीर की क्षमता को कमजोर कर देते हैं, जिससे कोशिकाओं की मरम्मत नहीं हो पाती। इससे उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) होते हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं।
आईएएनएस