महिलाओं में 40 वर्ष के बाद से कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए 40 वर्ष की उम्र से कुछ निर्धारित जांचें डॉक्टरी सलाह से करवानी चाहिए। इससे कई गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। रोजाना 30-40 मिनट व्यायाम भी करना चाहिए। कामकाजी के साथ गृहणियां भी इसका जरूर पालन करें।
तनाव को दूर रखें
तनाव को दूर रखें
तनाव से बचें। युवावस्था में अधिकतर बीमारियां तनाव से होती हैं। तनाव से बचने के लिए दिनचर्या अच्छी होनी चाहिए। प्राथमिकता के अनुसार काम करें। काम अपनी जगह है, लेकिन परिवार, दोस्तों के लिए भी समय निकालें। वह काम करें, जिसमें आपकी दिलचस्पी हो। जैसे क्राफ्टिंग, पेंटिंग या किताबें पढ़ें, कुछ नया सीखें। इससे रचनात्मकता बढ़ेगी। तनाव घटेगा।
आयुर्वेद के अनुसार खानपान
हर तरह की चीजें खाएं। इससे शरीर को मजबूती मिलती है लेकिन विरुद्ध आहार खाने से बचें। महिलाएं आहार में आंवला, जौ, शहद, सेंधा नमक, मुनक्का को नियमित शामिल करें। गर्मी में दही की जगह छाछ लें। नियमित दही खाने से शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) बढ़ जाता है। माहवारी के दिनों में जौ, चावल, घी, दूध और मिश्री ही खाएं। इससे माहवारी के साथ भविष्य में मधुमेह से भी बचाव होता है। जहां रहते हैं वहां होने वाली पैदावार और मौसमी चीजें खानपान में ज्यादा शामिल करनी चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार खानपान
हर तरह की चीजें खाएं। इससे शरीर को मजबूती मिलती है लेकिन विरुद्ध आहार खाने से बचें। महिलाएं आहार में आंवला, जौ, शहद, सेंधा नमक, मुनक्का को नियमित शामिल करें। गर्मी में दही की जगह छाछ लें। नियमित दही खाने से शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) बढ़ जाता है। माहवारी के दिनों में जौ, चावल, घी, दूध और मिश्री ही खाएं। इससे माहवारी के साथ भविष्य में मधुमेह से भी बचाव होता है। जहां रहते हैं वहां होने वाली पैदावार और मौसमी चीजें खानपान में ज्यादा शामिल करनी चाहिए।