क्या है प्री-क्वालिफिकेशन?
प्री-क्वालिफिकेशन वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से डब्ल्यूएचओ किसी वैक्सीन या दवा का मूल्यांकन करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह अंतरराष्ट्रीय मानकों की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता पर खरी उतरती है। जब कोई वैक्सीन प्री-क्वालिफाई हो जाती है, तो उसे निम्न और मध्यम आय वाले देशों में वितरण के लिए उपयुक्त माना जाता है।
सेकोलिन : चीन में निर्मित पहला एचपीवी वैक्सीन Secolin: The first HPV vaccine manufactured in China
सेकोलिन चीन में निर्मित पहला एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine) है, जिसे महिलाओं को एचपीवी वायरस के दो स्ट्रेनों से पूर्ण प्रतिरक्षा प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है। इसे ज़ियामेन इनोवाक्स बायोटेक कंपनी द्वारा निर्मित किया गया है। इसका प्री-क्वालिफिकेशन इस बात का संकेत है कि वैश्विक स्तर पर उपलब्ध वैक्सीन की संख्या में वृद्धि हो रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां वैक्सीन की कमी महसूस की जा रही है।
गर्भाशय ग्रीवा कैंसर से लड़ने में सहायक
एचपीवी वायरस मुख्य रूप से गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर का कारण बनता है, जो हर साल 6,60,000 से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। हर दो मिनट में एक महिला इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाती है, जिनमें से 90% मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों, विशेषकर अफ्रीका में होती हैं। यह भी पढ़ें:
क्या 14 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को भी लगवाना चाहिए HPV टीका? वैक्सीन (HPV Vaccine) की उपलब्धता को 2018 से वैश्विक आपूर्ति की कमी ने बाधित किया है, जिससे अफ्रीका और एशिया में लड़कियों को वैक्सीन प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा है। लेकिन सेकोलिन जैसी वैक्सीन की प्री-क्वालिफिकेशन से इस संकट को कम करने में मदद मिलेगी।
डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रणनीति
डब्ल्यूएचओ की वैश्विक रणनीति का लक्ष्य है कि 2030 तक 90% लड़कियों को 15 वर्ष की उम्र तक एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine) की पूर्ण खुराक मिल जाए। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर-जनरल, डॉ. टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसुस, ने कहा, “हमारे पास गर्भाशय ग्रीवा कैंसर को खत्म करने की क्षमता है। एक-खुराक एचपीवी वैक्सीन का विकल्प जुड़ने से हम इस बीमारी को इतिहास में दफन करने के करीब पहुंच रहे हैं।”
सिंगल-डोज़ वैक्सीन : अधिक विकल्प, अधिक पहुंच
डब्ल्यूएचओ की इम्यूनाइजेशन विभाग की निदेशक, डॉ. केट ओ’ब्रायन, ने कहा कि सिंगल-डोज़ वैक्सीन (Single dose HPV vaccine) के आने से देशों के पास अब और अधिक विकल्प होंगे और वे अधिक लड़कियों तक पहुंच बना सकेंगे, भले ही आपूर्ति की चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
2024 में और भी नए विकल्प
सितंबर 2024 तक, 57 देशों ने सिंगल-डोज़ वैक्सीन (Single dose HPV vaccine) शेड्यूल को अपनाया है, जबकि 2023 में यह संख्या 37 थी। इससे 2023 में ही अतिरिक्त 60 लाख लड़कियों को वैक्सीन दी जा सकी। इसके अतिरिक्त, एक और नया एचपीवी वैक्सीन, वालरिनवैक्स, अगस्त 2024 में डब्ल्यूएचओ द्वारा प्री-क्वालिफाई किया गया। हालांकि यह वैक्सीन फिलहाल दो-खुराक शेड्यूल के लिए स्वीकृत है, भविष्य में इसे भी सिंगल-डोज़ में उपयोग करने की संभावनाओं पर शोध किया जा रहा है। यह भी पढ़ें:
सर्वाइकल कैंसर का टीका: उम्र का बंधन तो है, लेकिन… सेकोलिन जैसे सिंगल-डोज़ एचपीवी वैक्सीन के आने से गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (Cervical Cancer) को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। वैश्विक स्तर पर अधिक से अधिक लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करना अब संभव है, और यह वैक्सीन उन क्षेत्रों में भी पहुँचेगी जहाँ इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।