स्वास्थ्य

‘व्हीट बैली: तथ्य जानें बिना न करें गेहूं से तौबा

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें बताया जा रहा है कि गेहूं और इससे बने उत्पादों को खाने से मोटापा, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोग हो रहे हैं।

Mar 20, 2020 / 12:28 pm

Hemant Pandey

‘व्हीट बैली: तथ्य जानें बिना न करें गेहूं से तौबा

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें बताया जा रहा है कि गेहूं और इससे बने उत्पादों को खाने से मोटापा, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोग हो रहे हैं। इसमें अमरीकी हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विलियम डेविस की किताब ‘’व्हीट बैली’ के हवाले से कहा गया है कि गेहूं और इससे बने उत्पादों को खाने से बचना चाहिए। इस पोस्ट से लोग असमंजस में है कि क्या गेहूं खाना चाहिए या नहीं। कुछ लोग इसे सही मान रहे हैं तो कुछ गलत भी करार दे रहे हैं। इसके पीछे का सच जाने बिना लोग इस पोस्ट को शेयर कर रहे हैं। इस बारे में जानते हैं डॉक्टरों की क्या राय है?
ये बातें हो रही वायरल
डॉ. डेविस ने लिखा है कि गेहूं से बने उत्पादों को खाते हैं तो इससे शरीर कमजोर हो जाता है। इस कारण कई तरह की शारीरिक परेशानियां जैसे हदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापा आदि का खतरा बढ़ता है। ‘व्हीट बैली’ (गेहूं से तोंद) किताब को न्यूयार्क टाइम्स ने बेस्ट सेलिंग बुक्स की लिस्ट में शामिल किया था।
इससे बढ़ता है शुगर लेवल
किताब में लिखा गया है कि गेहूं के उत्पादों को खाने से खून में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ता है। डॉ. डेविस के अनुसार इसमें कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा अधिक होती है। इसलिए कम मात्रा में भी गेहूं के उत्पाद जैसे रोटी या ब्रेड खाते हैं तो इससे भी शुगर का लेवल अचानक से बढ़ता है। उन्होंने यह भी लिखा है कि जब मेरे मरीजों ने गेहूं से बने उत्पादों को खाना छोड़ दिया तो उन्हें वजन नियंत्रित करने में काफी हद तक मदद मिली। खास तौर से पेट पर जमा चर्बी भी घटने लगी।
बीमारियों से बचाव के ये तर्क दिए
डॉ. डेविस का दावा है कि उनके अधिकतर मरीज डायबिटीज और प्री डायबिटीज की समस्या से ग्रसित थे। गेहूं के परहेज से उनको लाभ मिलने लगा। करीब 3-6 माह में उनको फर्क दिखने लगा था। पहले की तुलना में उनका शुगर लेवल नियंत्रित होने लगा था। गेहूं छोडऩे के बाद कुछ मरीज जो दमा से पीडि़त थे और वे इन्हेलर ले रहे थे उनका इन्हेलर छूट गया। साथ ही 20 वर्षों से माइग्रेन से पीडि़तों को भी दर्द में आराम मिल गया। गेहूं छोडऩे के तीन दिन बाद ही पेट में गैस बनी बंद हो गई और नींद भी अच्छी आने लगी। उनका कहना है कि गेहूं में एमाइलोपेप्टिन नामक तत्व होता है जो खाने के साथ शरीर में जाकर खून के एलडीएल (लो डेंसिटी लाइपो प्रोटीन) यानी बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। यदि आहार से गेहूं को हटा देते हैं तो इनका स्तर 80-90% तक घट जाता है और हृदय रोगों से बचाव होता है।
गेहूं के उत्पादों से बढ़ती है ज्यादा खाने की तलब!
व्हीट बैली किताब में दावा किया गया है कि गेहूं में एक प्रोटीन होता है जिसको ग्लीएडिन कहते हैं। यह भूख को बढ़ाता है। गेहूं से बने उत्पादों को खाने से एक व्यक्ति रोजाना औसतन 400 कैलोरी डाइट अधिक लेता है। अधिक डाइट लेने के कारण ऐसी समस्याएं हो रही हैं। कुछ लोगों में भ्रम हैं अगर ग्लूटेन फ्री डाइट लेते है तो इससे लाभ मिलेगा। लेकिन डॉ. डेविस का कहना है कि गेहूं से ग्लूटेन को निकाल भी दें तो उसमें ग्लीएडिन और एमाइलोपेप्टिन नामक तत्व मिलते हैं जिनसे नुकसान होता है।
हाइब्रिड गेहूं से नुकसान
किताब में गेहूं को उगाने को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसमें लिखा गया है कि 70-80 वर्ष पहले और आज के गेहूं उत्पादन में काफी अंतर है। रासायनिक खादइस्तेमाल हो रहे हैं। हाइब्रिड गेहूं में ग्लीएडिन प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है। जिससे कई तरह की परेशानी होती है।
एक्सपर्ट कमेंट
यह केवल एक व्यक्ति की परिकल्पना है
डॉ. विलियम डेविस की बात केवल परिकल्पना जैसी ही है। यह साइंटिफिक स्टडी नहीं है। गेहूं ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे सभी लोग खाते हैं। ऐेसे में 20-30 साल के अध्ययन के बाद कोई निष्कर्ष निकलता है तो उसको मानना चाहिए। इस किताब में जेनेटिक मोडिफाइ गेहूं की बात की जा रही है, लेकिन इस पर भी कोई स्टडी नहीं हुई है। शरीर की ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट बहुत जरूरी है। गेहूं इसका प्रमुख स्रोत है। इसमें फाइबर और प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होता है जो शरीर के सम्पूर्ण विकास के लिए जरूरी है। शरीर के लिए कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स लाभप्रद होते हैं। गेहूं का चोकर युक्त आटा, साबुत अनाज, ओट्स, हरी सब्जियां आदि भी लेने चाहिए।
गेहूं नहीं, जीवनशैली है जिम्मेदार
इस पोस्ट में किए गए दावे बिल्कुल सत्य नहीं हैं । गेहूं से नहीं बल्कि हमारी खराब जीवनशैली से मोटापा व डायबिटीज आदि बीमारियां हो रही हैं। गेहूं छोडऩे की जगह अच्छी दिनचर्या पर ध्यान दें। हर व्यक्ति को रोजाना करीब 30-60 मिनट व्यायाम करना चाहिए। खाने में मोटे अनाज का उपयोग अधिक करें। रिफाइन चीजें जैसे मैदा, जंक और फास्ट फूड न खाएं। यदि बात करें गेहूं की तो महज एक फीसदी आबादी को ग्लूटेन सेंसिटिव या गेहूं की एलर्जी होती है। ऐसे लोगों को ही गेहूं से बने उत्पाद न खाने की सलाह दी जाती है। बाकी लोग जरूरत के अनुसार खा सकते हैं।
ज्यादा खाने से बीमारियों की आशंका
विश्वभर में गेहूं आहार का मुख्य हिस्सा है। यह कहना गलत है कि गेहूं से डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोग हो रहे हैं। हां, इसके उत्पाद ज्यादा मात्रा में खाने से परेशानी हो सकती है। डॉ. डेविस कार्बोहाइड्रेट की बात कर हैं जबकि दूसरे अनाजों में भी यह होता है। गेहूं से शरीर को कई फायदे हैं। इसमें फाइबर, कई तरह के प्रोटीन्स, बी कॉम्पलेक्स, विटामिन्स, मैगनीज और फॉस्फोरस आदि पाए जाते हैं। ये शरीर के सम्पूर्ण विकास के लिए जरूरी हैं। गेहूं शरीर में ब्लड प्रेशर के साथ ग्जूकोज लेवल और पाचन को ठीक रखता है। पेट के कैंसर से बचाव करता है। 100 ग्राम गेहूं में करीब 12 ग्राम फाइबर पाया जाता है जो पाचन को बेहतर करने में मदद करता है।

Hindi News / Health / ‘व्हीट बैली: तथ्य जानें बिना न करें गेहूं से तौबा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.