-पहले चरण में मॉडर्ना वैक्सीन की हाईडोज देने के बाद मुझे एक दिन तक सैकड़ों बार मतली, बुखार और दूसरे अप्रिय दुष्प्रभाव नजर आए। इससे वैज्ञानिकों को पता चला कि जो खुराक मुझे दी गई, वह अत्यधिक थी। उस स्तर पर अब परीक्षण नहीं होगा।
-दुष्प्रभाव देखने के लिए अगले चरण में मेरी मां सहित हजारों वॉलंटियर्स को टीका-दवा दी गई और इस बात की निगरानी की गई कि क्या उन पर वायरस हमला करता है। वैक्सीन वालों की बजाय औषधि लेने वालों को वायरस ने अधिक संक्रमित किया।
तीन चरणों में असर और संक्रमण से जुड़े महत्वपूर्ण डेटा स्वतंत्र निगरानी बोर्ड देखता है। लेकिन इसके बाद नियामकों को दबाव के दौर से गुजरना होता है। सरकारों को कंपनियों और स्वतंत्र नियामकों पर भरोसा करना चाहिए। टीके के अंतिम चरण में निर्णायक परिणाम आने से पहले ही टं्रप की तरह वादा नहीं करना चाहिए। इससे न केवल वैक्सीन कंपनियों पर दबाव बढ़ता है, बल्कि टीकों की सिलसिलेवार परीक्षण प्रणाली भी बाधित होती है। राजनीतिक हस्तक्षेप और अविश्वास के कारण मेरी तरह हजारों वॉलंटियर्स की मेहनत और जोखिम व्यर्थ न हो जाए।
मॉडर्ना, एस्ट्रा जेनेका, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन ने अपने तीसरे चरण की योजनाओं को सार्वजनिक रूप से जारी किया है, ताकि लोगों में इनके परीक्षण को लेकर कोई शंका न रहे। प्रत्येक परीक्षण में हजारों स्वयंसेवकों की भर्ती की जा रही है और 150 से 170 परीक्षण के दौर से यह गुजरती है।