मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां क्या होती हैं?
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां तनाव, अवसाद और चिंता से उपजती हैं। इन दिनों लॉकडाउन के कारण घर और सामान्य जीवन में भी माहौल बदल गया है जिसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। माहौल और दिनचर्या बदल जाने से झुंझलाहट आने लगती है। काम पर न जाने से भी दिमाग पर असर पउ़ता है। दिमाग एक प्रेशर कुकर के जैसा हो ्रजाता है। वायरस से संक्रमित होने का डर भी इसमें इजाफा करता है। टीवी पर कोरोना संबंधी रोज बढ़ते मामलों को देखकर भी इन दिनों लोग अवसाद और चिंता महसूस कर रहे हैं। सुबह-शाम लॉकडाउन के खुलने की उम्मीद और कोरोना की आशंकाओं ने हमें घेर रखा है जिसका दिमाग पर असर पड़ता है। बड़ों को घबराहट में देखने पर बच्चे भी इससे ग्रसित हो रहे हैं। ऐसे में खुद को खुश रखें और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां तनाव, अवसाद और चिंता से उपजती हैं। इन दिनों लॉकडाउन के कारण घर और सामान्य जीवन में भी माहौल बदल गया है जिसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। माहौल और दिनचर्या बदल जाने से झुंझलाहट आने लगती है। काम पर न जाने से भी दिमाग पर असर पउ़ता है। दिमाग एक प्रेशर कुकर के जैसा हो ्रजाता है। वायरस से संक्रमित होने का डर भी इसमें इजाफा करता है। टीवी पर कोरोना संबंधी रोज बढ़ते मामलों को देखकर भी इन दिनों लोग अवसाद और चिंता महसूस कर रहे हैं। सुबह-शाम लॉकडाउन के खुलने की उम्मीद और कोरोना की आशंकाओं ने हमें घेर रखा है जिसका दिमाग पर असर पड़ता है। बड़ों को घबराहट में देखने पर बच्चे भी इससे ग्रसित हो रहे हैं। ऐसे में खुद को खुश रखें और परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं।
लोगों पर किस तरह का प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर- दरअसल लॉकडाउन में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी लक्षण उन लोगों में ज्यादा नजर आ रहे हैं जो पहले से ही इससे प्रभावित हैं या जिनका कोई इलाज चल रहा है। इन्हें बॉर्डर लाइन मरीज कहते हैं। ऐसे लोगों में चिड़चिड़ापन, तनाव, अवसाद, चिंता और घबराहट, तेज गुस्सा, शक करना जैसे लक्षण आम हैं। लाकडाउन के चलते इन लक्षणों में तेजी आई हैं। देश में आज प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति यानि कुल आबादी का 25 फीसदी हिस्सा इससे जूझ रहा है। ऐसे में इन लक्षणों को नजअंदाज न करें। दीवारों, पेड-पौधों से बात करना, किसी के पीछे खउ़े होने या साथ चलने का आभास, बेवजह उदासी, सामान्य कामों में मन न लगना और बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद और भूखभी इसके लक्षण हैं। बच्चों में लॉकडाउन के समय मूड बदलना, सिरदर्द, पेटदर्द और सीने में दर्द इसके लक्षण हैं। अगर आप अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं, जिंदगी में मजा नहीं आ रहा जैसी भावना आए और अगर आत्महत्या करने या किसी की हत्या करने का विचासर मन आए तो तुरंत किसी मनोचिकित्सक को दिखएं। यह गंभीर अवसाद के लक्षण हैं।
घरेलू हिंसा भी बढ़ी है ऐसे में क्या करें?
ये बहुत दुखद है। सबसे पहले तो इसे शुरू में ही बढऩे न दें। कोई मारे तो उसी समय विरोध करें वर्ना यह बढ़ता जाएगा। लेकिन अगर मारने वाला सामान्यत: उत्तेजित या गुस्सैल प्रवृत्ति का नहीं है या पहली बार हाथ उठाया है तो मनोचिकित्सक को दिखएं, यह मेंटल हैल्थ का प्राब्लम हो सकता है। उनसे नाकरात्मक विचारों को साझा करने को कहें। अगर मानािसक रोगी हैं या पुराने मरीज है तो पुरानी डोज में एडजस्टमेंट डॉक्टर की सलाह से ही करें। गूगल या सोशल मीडिया पर बताए नुस्खे आजमाने से बचें। मनोचिकित्सक की सलाह लें । अगर घरेलू हिंसा लगतार बढ़ रही हो तो बिना झिझके पुलिस को बताएं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी इस पर लगातार डॉक्टर से चर्चा करें।
ये बहुत दुखद है। सबसे पहले तो इसे शुरू में ही बढऩे न दें। कोई मारे तो उसी समय विरोध करें वर्ना यह बढ़ता जाएगा। लेकिन अगर मारने वाला सामान्यत: उत्तेजित या गुस्सैल प्रवृत्ति का नहीं है या पहली बार हाथ उठाया है तो मनोचिकित्सक को दिखएं, यह मेंटल हैल्थ का प्राब्लम हो सकता है। उनसे नाकरात्मक विचारों को साझा करने को कहें। अगर मानािसक रोगी हैं या पुराने मरीज है तो पुरानी डोज में एडजस्टमेंट डॉक्टर की सलाह से ही करें। गूगल या सोशल मीडिया पर बताए नुस्खे आजमाने से बचें। मनोचिकित्सक की सलाह लें । अगर घरेलू हिंसा लगतार बढ़ रही हो तो बिना झिझके पुलिस को बताएं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी इस पर लगातार डॉक्टर से चर्चा करें।
ऐसे माहौल मेंखुद को सकारात्मक कैसे बने रहेेंं?
इस तरह की समस्या आमतौर पर नहीं होती। इसलि खुद पर और सरकार पर भरोसा रखें। मन को समझाएं कि यह समय भी कट जाएगा। एक कागज पर ब्लैक एंड व्हाइट में अपनी १० समस्याओं को लिख लें और उनका विश्लेषण करेंकि इनके क्या संभावित समाधान हो सकते हैं। अक्सर हम समस्या को जितना बड़ा मान बैठते हैं यह उतनी बड़ी होती नहीं है। लॉकडाउन के बाद नौकरी, अर्थव्यवस्था और व्यापार जैसी परेशानियों को लेकर अवसाद में न आएं। सकारात्मक सोचें। अभी आर्थिक मुद्दों पर मजबूत बने रहने के लिए अपने खर्चो में कमी लाएं, सोच समझकर खर्च करें।
बच्चों के साथ किस तरह पेश आएं?
उत्तर: अगर आपका बच्चा सामान्य है और उसे कोई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं है तो उनसे सकारात्मक बातचीत करें। बड़े हमेशा बच्चोंके आसपास निराशासे बचें और उन्हें भी हालातके बारे में सही जानकारी दें लेकिन यह भी बताएं कि सब ठीक हो जाएगा। घर में फिजिकल डिस्टैंसिंग करें लेकिन सोशल नहीं। बच्चोंको वर्चुअल गु्रप केजरिए उनकेदोसतोंसे जोड़ें। लेकिन साथ ही उनकी मोबाइल एक्टिविटी को सुपरवाइज करें कि बच्चे क्या कर रहे हैं। उनसे फिजिकल एक्टिविटी करवाएं। इन्डोर गेम्स खेलें इससे नाकरात्मकता घटती है। खूब पानी पिएं। घर के छोटे-छोटे काम करवाएं जिससे उन्हें भी घर का महत्त्वपूर्ण सदस्य होने का अहसास हो। अगर बचचे को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी है तो उसके न्यूरोलॉजिस्ट, फिजिशियन और मनोचिकित्सक के लगातार संपर्क में रहें। बच्चे लॉकडाउन जैसी बंदिश स्वीकार नहीं कर पाते इसलिए भी उनमें तनाव और गुस्से जैसे लक्षण उभर आते हैं।
उत्तर: अगर आपका बच्चा सामान्य है और उसे कोई मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी नहीं है तो उनसे सकारात्मक बातचीत करें। बड़े हमेशा बच्चोंके आसपास निराशासे बचें और उन्हें भी हालातके बारे में सही जानकारी दें लेकिन यह भी बताएं कि सब ठीक हो जाएगा। घर में फिजिकल डिस्टैंसिंग करें लेकिन सोशल नहीं। बच्चोंको वर्चुअल गु्रप केजरिए उनकेदोसतोंसे जोड़ें। लेकिन साथ ही उनकी मोबाइल एक्टिविटी को सुपरवाइज करें कि बच्चे क्या कर रहे हैं। उनसे फिजिकल एक्टिविटी करवाएं। इन्डोर गेम्स खेलें इससे नाकरात्मकता घटती है। खूब पानी पिएं। घर के छोटे-छोटे काम करवाएं जिससे उन्हें भी घर का महत्त्वपूर्ण सदस्य होने का अहसास हो। अगर बचचे को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी है तो उसके न्यूरोलॉजिस्ट, फिजिशियन और मनोचिकित्सक के लगातार संपर्क में रहें। बच्चे लॉकडाउन जैसी बंदिश स्वीकार नहीं कर पाते इसलिए भी उनमें तनाव और गुस्से जैसे लक्षण उभर आते हैं।
इन पांच उपायों से रहें तनाव से दूर
01. रुटीन बनाएं
02. फिजिकल एक्टिविटी जरूर शमिल करें ३० से ४५ मिनट
03. बराबर पानी पिएं, अच्छा खाना खाएं, नींद लें, शराब न पिएं
04. फिजिकल डिस्टैसिंग करें लेकिन सोशल या लव डिस्टैंसिंग नहीं
05. दूसरों के बारे में भी सोंचे, बुजुर्ग या गरीब परिवार की मदद करें इससे आपको सुकून मिलेगा।
संदेश- खुद पर भरोसा रखें, जो इस समय हो रहा है बुरा है लेकिन उम्मीद न खोएं, लोगों में वो एक्स फैक्टर है कि वो इस समस्या से भी बाहर निकल आएंगे।