कई रोगों में कारगर यूनानी चिकित्सा की कपिंग (हिजामत) थैरेपी दो तरह से दी जाती है। Dry Cupping: ड्राई कपिंग : हर्निया, हाईड्रोसिल, बवासीर, सियाटिका, आर्थराइटिस, नकसीर और जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए शरीर पर कांच के छोटे-छोटे कप लगाकर प्रेशर देते हैं जिससे रक्त संचार, खून जमने व हड्डियों में गैप की समस्या ठीक होती है। वैक्यूम खत्म होते ही कप अलग हो जाते हैं।
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Wet Cupping वेट कपिंग : माईग्रेन, अस्थमा व घुटनों के दर्द के इलाज के लिए शरीर पर छोटा चीरा लगाकर कपों से प्रेशर देकर दूषित रक्त बाहर निकालते हैं। गर्भवती महिलाएं व कैंसर पीडि़त यह इलाज ना लें। इनका रखें ध्यान मरीज का ब्लड, हीमोग्लोबिन और स्किन टेस्ट होता है। डायबिटीज हो तो शुगर भी जांचते हैं। मरीज खाली पेट या हल्का-फुल्का खाया हुआ रह सकता है। इलाज के बाद दर्द हो तो माजून सूरनजान, अब्बे अजगंध व ताकत के लिए खमीरा अबरेशम देते हैं।
डॉ. एस शफीक अहमद नक वी, सदस्य, केंद्रीय चिकित्सा परिषद
डॉ. एस शफीक अहमद नक वी, सदस्य, केंद्रीय चिकित्सा परिषद
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इन बीमारियों में प्रभावी यूनानी कपिंग थैरेपी (Unani cupping therapy) के जरिए माइग्रेन, जॉइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल डिस्क, पैरों में सूजन, सुन्ना होना और झनझनाहट, हर प्रकार का दर्द, सायटिका, चर्मरोग, स्पॉन्डिलाइटिस, किडनी, हृदय रोग, लकवा, मिर्गी, गर्भाशय व हार्मोनल विकार, अस्थमा, साइनुसाइटिस, मधुमेह, मोटापा, थायरॉइड की समस्या, पेट के रोग, चेहरे पर दाने व दाग धब्बे और गंजेपन जैसी समस्याओं का इलाज संभव है। डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।