उम्र के साथ बढ़ती हैं समस्याएं
महिलाओं की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो उनकी समस्याएं भी बढ़ती हैं। हार्मोनल बदलाव से अनियमित पीरियड्स की शिकायत, कमजोरी के कारण उनमें थकान और चिड़चिड़ापन होना, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाइपरटेंशन की तकलीफ होती है। वहीं कैल्शियम की कमी से हड्डियों की समस्या और कमर-जोड़ोंं में दर्द होने लगता है। एस्ट्रोजन कम बनने से साइकोलॉजिकल समस्याएं होती हैं। साथ ही गर्भाशय और ब्रेस्ट से संबंधित बीमारियों की आशंका बढ़ती है जबकि मेनोपॉज शुरू होने से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। थायरॉइड से वजन अधिक होना और अन्य समस्याएं भी होती हैं।
महिलाओं की जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है तो उनकी समस्याएं भी बढ़ती हैं। हार्मोनल बदलाव से अनियमित पीरियड्स की शिकायत, कमजोरी के कारण उनमें थकान और चिड़चिड़ापन होना, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाइपरटेंशन की तकलीफ होती है। वहीं कैल्शियम की कमी से हड्डियों की समस्या और कमर-जोड़ोंं में दर्द होने लगता है। एस्ट्रोजन कम बनने से साइकोलॉजिकल समस्याएं होती हैं। साथ ही गर्भाशय और ब्रेस्ट से संबंधित बीमारियों की आशंका बढ़ती है जबकि मेनोपॉज शुरू होने से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है। थायरॉइड से वजन अधिक होना और अन्य समस्याएं भी होती हैं।
महिलाओं में पीसीओडी बड़ी समस्या
महिलाओं में आजकल पीसीओडी बड़ी समस्या है। इसमें वजनी महिलाएं को कई तरह की परेशानी होती है जैसे प्रजनन अंगों में गांठें बनने से नि:संतानता का खतरा, अनियमित माहवारी और थायरॉइड-डायबिटीज का खतरा अधिक हो जाता है। यह समस्या मुख्य रूप से अनियमित खानपान और व्यायाम रहित जीवन है।
महिलाओं में आजकल पीसीओडी बड़ी समस्या है। इसमें वजनी महिलाएं को कई तरह की परेशानी होती है जैसे प्रजनन अंगों में गांठें बनने से नि:संतानता का खतरा, अनियमित माहवारी और थायरॉइड-डायबिटीज का खतरा अधिक हो जाता है। यह समस्या मुख्य रूप से अनियमित खानपान और व्यायाम रहित जीवन है।
कामकाजी महिलाओं में तनाव अधिक
पहले की तुलना में देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ी है। कामकाजी महिलाओं में तनाव से भी कई तरह की परेशानी होती है जैसे अनियमित माहवारी, पीसीओडी, थायरॉइड और जल्द मेनोपॉज भी है। इसके साथ ही महिलाओं को मां बनने में समस्या होती है। साथ ही गर्भपात की आशंका भी बढ़ जाती है। कई दूसरी परेशानी भी हो सकती है.
पहले की तुलना में देश में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ी है। कामकाजी महिलाओं में तनाव से भी कई तरह की परेशानी होती है जैसे अनियमित माहवारी, पीसीओडी, थायरॉइड और जल्द मेनोपॉज भी है। इसके साथ ही महिलाओं को मां बनने में समस्या होती है। साथ ही गर्भपात की आशंका भी बढ़ जाती है। कई दूसरी परेशानी भी हो सकती है.
मेनोपॉज के बाद बढ़ते हैं खतरे
महिलाओं में 45-50 वर्ष के बाद से मेनोपॉज शुरू हो जाता है। मेेनोपॉज के बाद महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इससे कई तरह की समस्याएं भी होती हैं। हड्डियां कमजोर होती हैं जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा, हार्ट अटैक व ब्रेन डिसऑर्डर की आशंका अधिक, सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर का भी खतरा बढ़ता है। वहीं हॉट फ्लशेज यानी सामान्य से अधिक पसीना आना इसमें आम परेशानी है।
महिलाओं में 45-50 वर्ष के बाद से मेनोपॉज शुरू हो जाता है। मेेनोपॉज के बाद महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इससे कई तरह की समस्याएं भी होती हैं। हड्डियां कमजोर होती हैं जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा, हार्ट अटैक व ब्रेन डिसऑर्डर की आशंका अधिक, सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर का भी खतरा बढ़ता है। वहीं हॉट फ्लशेज यानी सामान्य से अधिक पसीना आना इसमें आम परेशानी है।
40 वर्ष के बाद कराएं नियमित जांचें
40 वर्ष के बाद महिलाओं को कुछ जांचें नियमित करानी चाहिए। इनमें उच्च रक्तचाप, थायरॉइड, मधुमेह और हार्ट संबंधी जांचें हैं। इसके साथ ही हड्डियों की जांच के लिए बीएमडी टेस्ट करवाएं। परिवार में किसी को कोई गंभीर बीमारी की हिस्ट्री है तो उसकी स्क्रीनिंग करवाएं। ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए दो साल में पैपस्मीयर टेस्ट करवाएं और डॉक्टरी सलाह पर लिपिड प्रोफाइल अन्य जांचें करवा सकती हैं।
40 वर्ष के बाद महिलाओं को कुछ जांचें नियमित करानी चाहिए। इनमें उच्च रक्तचाप, थायरॉइड, मधुमेह और हार्ट संबंधी जांचें हैं। इसके साथ ही हड्डियों की जांच के लिए बीएमडी टेस्ट करवाएं। परिवार में किसी को कोई गंभीर बीमारी की हिस्ट्री है तो उसकी स्क्रीनिंग करवाएं। ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए दो साल में पैपस्मीयर टेस्ट करवाएं और डॉक्टरी सलाह पर लिपिड प्रोफाइल अन्य जांचें करवा सकती हैं।
महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान
अपनी सेहत का ध्यान परिवार से पहले रखें। अगर आप स्वस्थ हैं तो परिवार भी स्वस्थ रहेगा। हमेशा चुस्ती एवं स्फूर्ति बनाएं रखें। साथ ही तनाव वाले कामों से बचें। अच्छी डाइट लें और नियमित कम से 30 मिनट व्यायाम करें। व्यायाम के साथ ध्यान और प्राणायाम जरूर करें। इसका भी लाभ मिलता है। अपने को हमेशा व्यस्त रखें, अपने रुचि के अनुसार काम करें। खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद और फल ज्यादा खाएं। प्रोटीन डाइट जैसे सोयाबीन और डेयरी प्रोडक्ट ज्यादा लें। मसालेदार भोजन, सिगरेट, अल्कोहल, कॉफी चाय से परहेज करें। महिलाओं को कैल्श्यिम और आयरन की मात्रा की कमी नहीं होने देना चाहिए। आयरन की कम होने से खून की कमी है। कमजोर हो जाती है। इसके लिए खाने में डेयरी प्रोडक्ट, गाजर, चुकंदर और गुड़ पर्याप्त मात्रा में लें। इसका भी फायदा मिलेगा। बीमारियों से बचाव के लिए बाजार में कुछ टीके भी हैं उनको भी डॉक्टरी सलाह पर लगवा सकती हैं।
अपनी सेहत का ध्यान परिवार से पहले रखें। अगर आप स्वस्थ हैं तो परिवार भी स्वस्थ रहेगा। हमेशा चुस्ती एवं स्फूर्ति बनाएं रखें। साथ ही तनाव वाले कामों से बचें। अच्छी डाइट लें और नियमित कम से 30 मिनट व्यायाम करें। व्यायाम के साथ ध्यान और प्राणायाम जरूर करें। इसका भी लाभ मिलता है। अपने को हमेशा व्यस्त रखें, अपने रुचि के अनुसार काम करें। खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद और फल ज्यादा खाएं। प्रोटीन डाइट जैसे सोयाबीन और डेयरी प्रोडक्ट ज्यादा लें। मसालेदार भोजन, सिगरेट, अल्कोहल, कॉफी चाय से परहेज करें। महिलाओं को कैल्श्यिम और आयरन की मात्रा की कमी नहीं होने देना चाहिए। आयरन की कम होने से खून की कमी है। कमजोर हो जाती है। इसके लिए खाने में डेयरी प्रोडक्ट, गाजर, चुकंदर और गुड़ पर्याप्त मात्रा में लें। इसका भी फायदा मिलेगा। बीमारियों से बचाव के लिए बाजार में कुछ टीके भी हैं उनको भी डॉक्टरी सलाह पर लगवा सकती हैं।
डॉ. मेघा शर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ, जयपुर