पेरीफेरल आर्टरी डिजीज को ही आत भाषा मे हार्ट ब्लॉकेज (Arterial blockage) कहते हैं। आज के समय में लोग बहुत कम उम्र में ही
हृदय संबंधी समस्याओं के शिकार हो रहे है। आर्टरीज ब्लॉकेज का सबसे बड़ा कारण खराब लाइफस्टाइल है जिसकी वजह से ह्रदय कमजोर होता जा रहा और हार्ट अटैक, स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यदि खान पान पर बेहतर तरीके से ध्यान दिया जाए तो आर्टरीज को ब्लॉक होने से रोका जा सकता है।
Arterial blockage को क्लियर रखने के लिए फायदेमंद फूड्स
बीन्स बीन्स में भरपूर मात्रा में फाइबर की गुणवत्ता पाई जाती है और एथेरोस्क्लेरोसिस को रोकने के लिए बीन्स जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाना आवश्यक है। बीन्स के सेवन से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रबंधित करने में मदद मिलती है, जिससे आर्टरीज (Arterial blockage) के बंद होने का खतरा कम हो जाता है। कई अध्ययनों से पता चला है कि बीन्स खाने से एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी कम हो सकता है। इस प्रकार यह आर्टरीज (arterial blockage) को क्लियर रहने में मदद करता है। हरी पत्तेदार सब्जी पालक, केल और ब्रोकली जैसी सब्जियां विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं। ये ब्लड प्रेशर को कम करके, ब्लड वेसल्स के कार्य में सुधार करती हैं और सूजन को कम कर हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें मौजूद उच्च फाइबर सामग्री कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करती है।
नट्स बादाम और अखरोट जैसे नट्स में पर्याप्त मात्रा में हेल्दी फैट, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। ये एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर, सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। नट्स में एल-आर्जिनिन भी होता है, जो एक एमिनो एसिड है, जो स्वस्थ रक्त वाहिकाओं को बढ़ावा देता है।
मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली खाने वालों में एथेरोस्क्लेरोसिस और कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा कम होता है। शरीर ओमेगा-3 फैटी एसिड को बायोएक्टिव लिपिड मीडिएटर में मेटाबॉलाइज कर सकता है, जो सूजन और रक्त के थक्के को कम करते है। सूजन और ब्लड क्लॉट्स दोनों धमनियों के बंद होने में योगदान करते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।