स्वास्थ्य

टाइप—2 डायबिटीज का खतरा बच्चों पर, क्या कहता है रिसर्च

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के चिकित्सा विशेषज्ञों के मुुताबिक अधिक से अधिक बच्चे टाइप 2 मधुमेह का शिकार हो रहे हैं। यहां के विशेषज्ञों का कहना है कि जिस सबसे छोटे बच्चे में मैंने मधुमेह का निदान और उपचार किया है, वह कक्षा सात का छात्र था, जिसके परिवार में मधुमेह का कोई इतिहास नहीं था। ऐसे बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। बिना किसी पारिवारिक इतिहास के ओपीडी में मधुमेह का निदान किया जा रहा है।

Dec 07, 2023 / 12:44 pm

Jaya Sharma

संभालिए बच्चों को…बढ़ रहा है टाइप 2 डायबिटीज का खतरा

बदलती जीवन शैली ने बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव छोड़ा है। न सिर्फ व्यस्क बल्कि बच्चे भी तेजी से डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण बाहर का खाना और फिजिकल एक्टिविटी की कमी कहीं जा सकती है। चिकित्सक के मुताबिक अब डायबिटीज आनुवांशिकी से ज्यादा बदलती आदतों और जीवनशैली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। बच्चे अब ज्यादातर घर से बाहर का खाना खाने लगे हैं और यहां तक कि स्कूल में टिफिन लाने से भी बचते हैं।
माता—पिता बच्चों को टिफिन की बजाय पैसे देते हैं
व्यस्त माता-पिता भी टिफिन के बजाय पैसे देते हैं। इसके अलावा उन पर अच्छा प्रदर्शन करने का काफी दबाव है। इसका उद्देश्य कक्षा 4 या 5 से ही चिकित्सा या इंजीनियरिंग जैसे पेशे पर निर्णय लेना है। हमारे समय में यह सारा दबाव कक्षा 10 के बाद ही आता था।
डायबिटीज समाज के लिए खतरा

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को डायबिटीज होना न सिर्फ परिवारों, बल्कि समाज के लिए भी बहुत बड़ी समस्या रही है। इससे परिवारों में डायबिटीज का इतिहास बन रहा है और आगे आने वाली पीढ़ी भी प्रभावित हो रही है। यह रोग 17 वर्ष से 40 वर्ष के बीच व्‍यक्ति को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपी में 18 प्रतिशत आबादी, चाहे वह किसी भी उम्र की हो, उसे मधुमेह का खतरा है। ईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार वे प्री डायबिटीज श्रेणी में आते हैं। वे अभी भी मधुमेह को होने से रोक सकते हैं, लेकिन इसके लिए उनकी जीवनशैली और खान-पान में बदलाव की जरूरत है।

Hindi News / Health / टाइप—2 डायबिटीज का खतरा बच्चों पर, क्या कहता है रिसर्च

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.