व्यस्त माता-पिता भी टिफिन के बजाय पैसे देते हैं। इसके अलावा उन पर अच्छा प्रदर्शन करने का काफी दबाव है। इसका उद्देश्य कक्षा 4 या 5 से ही चिकित्सा या इंजीनियरिंग जैसे पेशे पर निर्णय लेना है। हमारे समय में यह सारा दबाव कक्षा 10 के बाद ही आता था।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के चिकित्सा विशेषज्ञों के मुुताबिक अधिक से अधिक बच्चे टाइप 2 मधुमेह का शिकार हो रहे हैं। यहां के विशेषज्ञों का कहना है कि जिस सबसे छोटे बच्चे में मैंने मधुमेह का निदान और उपचार किया है, वह कक्षा सात का छात्र था, जिसके परिवार में मधुमेह का कोई इतिहास नहीं था। ऐसे बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। बिना किसी पारिवारिक इतिहास के ओपीडी में मधुमेह का निदान किया जा रहा है।
•Dec 07, 2023 / 12:44 pm•
Jaya Sharma
संभालिए बच्चों को…बढ़ रहा है टाइप 2 डायबिटीज का खतरा
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