अन्ना का मामला उन अनगिनत पेशेवरों की कहानी बयां करता है जो हसल कल्चर की चपेट में हैं, जहाँ ज़्यादा मेहनत और लंबे घंटे काम करना सफलता की कुंजी मानी जाती है।
Hustle culture : आधुनिक कार्यशैली का दुष्परिणाम
हसल कल्चर (Hustle culture) वह विचारधारा है जिसमें व्यक्ति जितनी अधिक मेहनत करता है, उसे उतनी ही अधिक सफलता प्राप्त होती है। यह (Hustle culture) कल्चर उन लोगों को प्रोत्साहित करता है जो अपने व्यक्तिगत जीवन की उपेक्षा कर, हर समय केवल काम पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हालाँकि, इस कार्यशैली के दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं। 25 वर्षीय सॉफ्टवेयर डेवलपर, कृतार्थ मित्तल, जो सॉशल्स ऐप के संस्थापक हैं, ने अत्यधिक काम के बाद अस्पताल में भर्ती होने की कहानी सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने बताया कि बिना पर्याप्त नींद, अस्वास्थ्यकर आहार और लगातार काम के कारण वह अस्पताल पहुंच गए।
Hustle culture : ज़्यादा काम, कम नींद: सेहत पर गहरा असर
हसल कल्चर (Hustle culture) में 9-10 घंटे की शिफ्ट करना आम बात हो गई है। नतीजा यह है कि कर्मचारी मानसिक और शारीरिक रूप से थक जाते हैं, लेकिन इसे सफलता का मार्ग समझकर चलता रहते हैं। विशेषज्ञ के अनुसार, भारत में लोग नींद के महत्व को कम समझते हैं। “नींद की कमी से मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। हर 45 मिनट बाद थोड़ा चलें या 10 स्क्वाट्स करें, ताकि लंबे समय तक बैठने का चक्र टूट सके।”
Hustle culture : मानसिक स्वास्थ्य: काम से ऊपर ज़रूरी
कई कॉर्पोरेट सेटअप्स में कर्मचारी अत्यधिक तनाव में रहते हैं, लेकिन वे अपने संघर्षों के बारे में बात नहीं करते। वह कहती हैं कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाना चाहिए ताकि वे खुलकर बात कर सकें और मदद मांग सकें।
Hustle culture : भागदौड़ वाले कल्चर से बचने के उपाय
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना, नियमित रूप से ब्रेक लेना और अपने शरीर की प्राथमिकताओं को समझना जरूरी है। यह न केवल बीमारियों से बचने में मदद करेगा, बल्कि लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने की संभावना भी बढ़ाएगा।