What is eye flu क्या है आई फ्लू आई फ्लू (eye flu) या कंजंक्टिवाइटिस आंखों के सफेद हिस्से में होने वाले संक्रमण है। बरसात के मौसम में इस बीमारी का बढ़ना बहुत ही आम है। इसके अधिकतर मामले सर्दी-खांसी वाले वायरस की वजह से बढ़ते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में विशेषकर बच्चों में जीवाणु संक्रमण भी इसकी वजह हो सकती है। इसलिए इस मौसम में आंखों से जुड़ी किसी भी तरह की लापरवाही बरतने से बचना चाहिए।
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Symptoms of eye flu आई फ्लू केलक्षण आई फ्लू (eye flu) बहुत ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं होती है और आंख को कोई स्थाई नुकसान पहुंचाए बिना एक या दो हफ्ते में ठीक हो जाता है। लेकिन आपको इसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
– आंखों का लाल हो जाना
– आंखों में सफेद कीचड़ आना
– आंखों से पानी बहना
– आंखों में सूजन होना
– आंखों में खुजली और दर्द का होना
Know what to do when you get eye flu? जानिए क्या करें जब हो जाए आई फ्लू? यह संक्रमण एक आंख से शुरू होता है और जल्दी ही दूसरी आंख में भी फैल जाता है। ऐसे में कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर की सलाह के बाद आप इन चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
– आंखों में सफेद कीचड़ आना
– आंखों से पानी बहना
– आंखों में सूजन होना
– आंखों में खुजली और दर्द का होना
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Know what to do when you get eye flu? जानिए क्या करें जब हो जाए आई फ्लू? यह संक्रमण एक आंख से शुरू होता है और जल्दी ही दूसरी आंख में भी फैल जाता है। ऐसे में कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर की सलाह के बाद आप इन चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
– मोक्सीफ्लोक्सासिन आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं
– आंखों को गुनगुने पानी से साफ करें
– इसके लिए साफ और सूती कपड़े का इस्तेमाल करें
– लक्षण गंभीर होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
– आंखों को बार-बार ठंडे पानी से साफ करें
– आंखों को गुनगुने पानी से साफ करें
– इसके लिए साफ और सूती कपड़े का इस्तेमाल करें
– लक्षण गंभीर होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
– आंखों को बार-बार ठंडे पानी से साफ करें
बारिश के बाद आई फ्लू की जो बीमारी फैलती है, उसे चिकित्सीय भाषा में कंजक्टिवाइटिस कहते हैं। आंखों की निचली व ऊपरी पलकों की बाहरी परत को कंजेक्टिवा कहते हैं, इसमें वायरल, बैक्टीरियल व एलर्जिक संक्रमण कंजक्टिवाइटिस कहलाता है। इसमें आंखें लाल-लाल हो जाती हैं। उनमें जलन होती है। आंखों से चिपचिपे द्रव्य का निकलना व आईलैश जुड़ने को एलर्जिक संक्रमण माना जाता है। आंखों से पानी भी निकलता है और दर्द भी होता है। यह छूने से फैलने वाला रोग है इसलिए संक्रामक भी है। यह संक्रमण 4 से 5 दिन में ठीक हो जाता है।
सावधानी ही है बचाव आंखों की इस बीमारी से बचने का सिर्फ एक ही तरीका है और वह है सावधानी। उपचार से आई फ्लू की तीव्रता को तो कम किया जा सकता है। दवा डालने का फायदा यह होता है कि इससे आंखों में दर्द कम हो जाता है और सेकेंड्री इंफेक्शन फैलने की आशंका भी नहीं रहती, लेकिन ऐसा कोई उपचार नहीं है, जिससे आई फ्लू को समय से पहले ठीक किया जा सके।
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सावधानी ही है बचाव आंखों की इस बीमारी से बचने का सिर्फ एक ही तरीका है और वह है सावधानी। उपचार से आई फ्लू की तीव्रता को तो कम किया जा सकता है। दवा डालने का फायदा यह होता है कि इससे आंखों में दर्द कम हो जाता है और सेकेंड्री इंफेक्शन फैलने की आशंका भी नहीं रहती, लेकिन ऐसा कोई उपचार नहीं है, जिससे आई फ्लू को समय से पहले ठीक किया जा सके।
– आंखों को धुआं, धूल, वर्षा के मौसम की तीखी धूप और तेज हवा से बचाएं।
– ठंडे गुलाब जल को रुई के फोहे में लेकर आंखों पर रखें। हालांकि गुलाब जल या अन्य किसी देसी इलाज से पहले चिकित्सक से संपर्क करना अच्छा रहता है।
– आंखों में नमी बनी रहने दें, धूप का चश्मा भी पहनें।
– रोशनी से बचकर रहें। टीवी न देखें, अधिक देर तक पत्र-पत्रिकाएं न पढ़ें, धूप में न टहलें।
– आंखों को हाथों से मसले नहीं अन्यथा उनमें लाली ज्यादा उभरने लगेगी।
– इस्तेमाल हुआ तौलिया, साबुन व आईड्राप अलग रखें।
– कॉन्टैक्ट लैंस वाले अधिक सावधान रहें। आंखों को रगड़े नहीं।
– स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल न करें।
– ठंडे गुलाब जल को रुई के फोहे में लेकर आंखों पर रखें। हालांकि गुलाब जल या अन्य किसी देसी इलाज से पहले चिकित्सक से संपर्क करना अच्छा रहता है।
– आंखों में नमी बनी रहने दें, धूप का चश्मा भी पहनें।
– रोशनी से बचकर रहें। टीवी न देखें, अधिक देर तक पत्र-पत्रिकाएं न पढ़ें, धूप में न टहलें।
– आंखों को हाथों से मसले नहीं अन्यथा उनमें लाली ज्यादा उभरने लगेगी।
– इस्तेमाल हुआ तौलिया, साबुन व आईड्राप अलग रखें।
– कॉन्टैक्ट लैंस वाले अधिक सावधान रहें। आंखों को रगड़े नहीं।
– स्वीमिंग पूल का इस्तेमाल न करें।
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यह हैं लक्षण नींद से उठने पर दोनों पलकों का आपस में चिपक जाना, सिर दर्द होना, आंखों में दर्द और जलन होना, आंखों में बार-बार कीच आना, पलकों पर अधिक सूजन होना, आंखों में लाली, चुभन और खुजली होना, रोशनी सहन न कर पाना आदि।