हाल ही में अपोलो हॉस्पिटल्स द्वारा जारी ‘हेल्थ ऑफ नेशन रिपोर्ट’ के मुताबिक, भारत में हर तीन में से एक व्यक्ति मधुमेह से पहले की अवस्था (प्री-डायबिटिक) में है, हर तीन में से दो लोग हाई ब्लड प्रेशर से पहले की अवस्था (प्री-हाइपरटेंशन) में हैं और हर दस में से एक व्यक्ति डिप्रेशन से ग्रस्त है.
कैंसर, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी बीमारियां और मानसिक रोग जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों (एनसीडी) का प्रसार चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है. डॉ. अनिल अरोड़ा, चेयरमैन, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, सर गंगा राम अस्पताल ने बताया कि, “भारत की 1.4 अरब की आबादी में, सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं फैटी लीवर डिजीज, मोटापा, मधुमेह, युवाओं में कोरोनरी आर्टरी डिजीज और हर वर्ग के लोगों को प्रभावित करने वाले विभिन्न अंगों में होने वाले कैंसर में तेजी से वृद्धि से जुड़ी हैं. यह बदलाव तब और स्पष्ट हो जाता है, जब कम उम्र में ही हार्ट अटैक और लकवा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.”
उन्होंने बताया कि, “तनावपूर्ण जीवनशैली और कम शारीरिक गतिविधि के चलते अब युवाओं में भी वो बीमारियां हो रही हैं, जो पहले कम देखने में आती थीं.” संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिल्डा का कहना है कि, “युवा पीढ़ी की बदली हुई जीवनशैली उन्हें बीमारियों के प्रति अधिक संवेदन बना रही है.” उन्होंने कहा कि, “आजकल के युवा जंक फूड, धूम्रपान, तंबाकू और शराब का ज्यादा सेवन कर रहे हैं, जो बीमारियों को न्योता दे रहा है.”
उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुई वर्क फ्रॉम होम संस्कृति को भी इसका एक कारण बताया. कुछ कंपनियों में अब भी ये चलन जारी है. डॉ गिल्डा ने कहा कि, इसे रोका जाना चाहिए क्योंकि घर से काम करने वाले लोग व्यायाम या शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.”
वह लोगों को अपनी सेहत को अपनी जिम्मेदारी बनाने की सलाह देते हैं. उन्होंने कहा कि, “अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारी खुद की जिम्मेदारी है. हर किसी को अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक रहना चाहिए. सिर्फ सरकार और संस्थाओं पर निर्भर नहीं रह सकते. तंबाकू का सेवन छोड़ें, धूम्रपान कम करें या बंद करें, शराब का सेवन कम करें या बंद करें और संतुलित आहार व व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं.”