क्या होता है स्टिफ पर्सन सिंड्रोम?
स्टिफ पर्सन सिंड्रोम फाउंडेशन के अनुसार यह विकार केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी शामिल होती है। यह बीमारी मरीज़ को अक्षम बना सकती है। कभी—कभी रोगी का चलना भी मुश्किल हो जाता है। इस न्यूरोलॉजिकल बीमारी में ऑटोइम्यून संकेत दिखते हैं, जिसमें अधिक अकड़न, दर्द, बेचैनी और ऐंठन शामिल है। कई मामलों में जोड़ भी डिसलोकेट हो जाते हैं।
स्टिफ पर्सन सिंड्रोम फाउंडेशन के अनुसार यह विकार केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी शामिल होती है। यह बीमारी मरीज़ को अक्षम बना सकती है। कभी—कभी रोगी का चलना भी मुश्किल हो जाता है। इस न्यूरोलॉजिकल बीमारी में ऑटोइम्यून संकेत दिखते हैं, जिसमें अधिक अकड़न, दर्द, बेचैनी और ऐंठन शामिल है। कई मामलों में जोड़ भी डिसलोकेट हो जाते हैं।
यह है बड़ी वजह
इस बीमारी को ह्यूमन स्टेच्यू डिजीज भी कहते हैं। इस डिजीज में कई बार ऐंठन अचानक आ जाती है और शरीर जम जाता है। यह अधिकांश तब होता है, जब व्यक्ति के किसी करीबी की मृत्यु हो जाती है।
इस बीमारी को ह्यूमन स्टेच्यू डिजीज भी कहते हैं। इस डिजीज में कई बार ऐंठन अचानक आ जाती है और शरीर जम जाता है। यह अधिकांश तब होता है, जब व्यक्ति के किसी करीबी की मृत्यु हो जाती है।
ये होते हैं लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक धड़ और पेट की मांसपेशियां आमतौर पर सबसे पहले प्रभावित होती हैं। शुरुआत में, मांसपेशियों में अकड़न आती-जाती रहती है, लेकिन फिर यह अकड़न बरकरार रहने लगती है। समय के साथ पैरों की मांसपेशियां अकड़ जाती हैं, जिसके बाद हाथ और चेहरे की मांसपेशियां भी अकड़ना शुरू हो जाती हैं। इस समय पर ईलाज जरूरी होता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक धड़ और पेट की मांसपेशियां आमतौर पर सबसे पहले प्रभावित होती हैं। शुरुआत में, मांसपेशियों में अकड़न आती-जाती रहती है, लेकिन फिर यह अकड़न बरकरार रहने लगती है। समय के साथ पैरों की मांसपेशियां अकड़ जाती हैं, जिसके बाद हाथ और चेहरे की मांसपेशियां भी अकड़ना शुरू हो जाती हैं। इस समय पर ईलाज जरूरी होता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।