गले का संक्रमण
इस समय गले का संक्रमण आम है। अधिकांश गले के संक्रमण लगातार बने रहने वाले या कुछ पर्यावरणीय कारकों का परिणाम होते हैं।
इस रोग के लक्षण : गले में खराश, सोते समय गले से आवाज आना, घरघराहट होना व दर्द या जलन की समस्या होना।
क्या करें : एक कप पानी में दो इंच अदरक का टुकड़ा कूटकर उसे उबालकर काढ़े की तरह पीएं।
सुबह एक या दो चम्मच शहद का सेवन करें। हल्का गुनगुना पानी पीना व नमक के गरारे भी फायदेमंद हैं।
अस्थमा अस्थमा के मरीजों के लिए सितंबर के बाद सर्दियों तक का समय और फरवरी-मार्च का समय बेहद कठिन होता है। अस्थमा सांस फूलने की बीमारी है। जब सांस की नलियों में खराबी या उसके फेफड़ों की नलियां पतली हो जाती हैं और उसके कारण सांस लेने में तकलीफ होती है तो इस बीमारी को अस्थमा कहा जाता है।
इस समय गले का संक्रमण आम है। अधिकांश गले के संक्रमण लगातार बने रहने वाले या कुछ पर्यावरणीय कारकों का परिणाम होते हैं।
इस रोग के लक्षण : गले में खराश, सोते समय गले से आवाज आना, घरघराहट होना व दर्द या जलन की समस्या होना।
क्या करें : एक कप पानी में दो इंच अदरक का टुकड़ा कूटकर उसे उबालकर काढ़े की तरह पीएं।
सुबह एक या दो चम्मच शहद का सेवन करें। हल्का गुनगुना पानी पीना व नमक के गरारे भी फायदेमंद हैं।
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अस्थमा अस्थमा के मरीजों के लिए सितंबर के बाद सर्दियों तक का समय और फरवरी-मार्च का समय बेहद कठिन होता है। अस्थमा सांस फूलने की बीमारी है। जब सांस की नलियों में खराबी या उसके फेफड़ों की नलियां पतली हो जाती हैं और उसके कारण सांस लेने में तकलीफ होती है तो इस बीमारी को अस्थमा कहा जाता है।
इस रोग के लक्षण : सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ महसूस करना, अत्यधिक खांसी आना, डस्ट या धुएं से एलर्जी होना।
क्या करें : इनहेलर अपने पास रखें। जीवनशैली में सुधार लाएं। धूल-मिट्टी से परहेज करें। साफ-सफाई के काम करने पड़े तो मास्क लगाएं।
क्या करें : इनहेलर अपने पास रखें। जीवनशैली में सुधार लाएं। धूल-मिट्टी से परहेज करें। साफ-सफाई के काम करने पड़े तो मास्क लगाएं।
कंजेक्टिवाइटिस (आई फ्लू)
इस समय वातावरण में तरह-तरह के वायरस-बेक्टीरिया और एलर्जन सक्रिय रहते हैं। इस मौसम में कंजेक्टिवाइटिस का खतरा अधिक रहता है। बिना सफाई का ध्यान रखे कॉन्टेक्ट लेंंस, चश्मे, तौलिए का उपयोग इस रोग की आशंका को बढ़ाता है।
इस रोग के लक्षण : आंखों में लालिमा, खुजली और जलन, संक्रमित आंखों से लगातार पानी आना।
क्या करें : कॉन्टेक्ट लेंस न लगाएं, गर्म कपड़े का सेक करें, हाइजीन का ध्यान रखें।
इस समय वातावरण में तरह-तरह के वायरस-बेक्टीरिया और एलर्जन सक्रिय रहते हैं। इस मौसम में कंजेक्टिवाइटिस का खतरा अधिक रहता है। बिना सफाई का ध्यान रखे कॉन्टेक्ट लेंंस, चश्मे, तौलिए का उपयोग इस रोग की आशंका को बढ़ाता है।
इस रोग के लक्षण : आंखों में लालिमा, खुजली और जलन, संक्रमित आंखों से लगातार पानी आना।
क्या करें : कॉन्टेक्ट लेंस न लगाएं, गर्म कपड़े का सेक करें, हाइजीन का ध्यान रखें।
त्वचा संबंधी रोग इस समय फंगल इंफेक्शन की आशंका ज्यादा रहती है। त्वचा में दरारें आना, खुजली, रेडनेस, कपड़े, जूते और मोजे से रेशेज, कमर के क्षेत्र में खुजली होने लगती है। रोग के लक्षण : एग्जिमा में स्किन में खुजली, दरारें और खुरदरापन होना, दाद में त्वचा पर लाल दाने या धब्बे दिखाई देना।
क्या करें : झाडऩे के बजाय गीला पोंछा लगाएं। पैट्स से दूरी बनाए रखें, घर को खुला व हवादार रखें। – डॉ. आलोक गुप्ता, सीनियर फिजिशियन, जोधपुर
क्या करें : झाडऩे के बजाय गीला पोंछा लगाएं। पैट्स से दूरी बनाए रखें, घर को खुला व हवादार रखें। – डॉ. आलोक गुप्ता, सीनियर फिजिशियन, जोधपुर