निकोटिन रिप्लेसमेंट (Nicotine replacement) थेरेपी जैसी धूम्रपान छोड़ने की दवाइयां अपनाकर कैंसर (Cencer) के खतरे को काफी कम किया जा सकता है। भारत में हर साल 14 लाख से ज्यादा कैंसर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से कईयों की वजह धूम्रपान ही होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान (Smoking) पूरी तरह से छोड़ देना सबसे अच्छा विकल्प है, लेकिन जो लोग इसे छोड़ नहीं पा रहे हैं, उनके लिए ये दवाइयां एक सुरक्षित रास्ता हो सकती हैं। स्वीडन जैसे देशों ने इन दवाइयों को अपनाकर धूम्रपान करने वालों की संख्या को काफी कम कर लिया है। स्वीडन में 15 साल पहले 15% लोग धूम्रपान करते थे, जो अब घटकर 5.6% रह गया है। वहां कैंसर के मामले भी यूरोपीय संघ के अन्य देशों के मुकाबले 41% कम हैं।
यह भी पढ़ें-रात को सोते समय मुंह में मुलेठी रखने के फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे आप भारत में भी धूम्रपान को कम करने के लिए ऐसे ही प्रयास किए जा सकते हैं। नॉर्वे ने हाल ही में इसी तरह की दवाइयों को वैध बनाने का फैसला किया है। धूम्रपान (Smoking) छोड़ने की दवाइयों में निकोटिन पैच, इनहेलर, च्यूइंग गम, घुलने वाली गोलियां और नाक स्प्रे शामिल हैं। ये दवाइयां शरीर को कम मात्रा में निकोटिन देती हैं, जिससे धूम्रपान की इच्छा कम हो जाती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान (Smoking) छोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, क्योंकि इससे न सिर्फ कैंसर का खतरा कम होता है, बल्कि दिल और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा भी कम होता है। धूम्रपान छोड़ने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
ध्यान दें: यह लेख केवल जानकारी के लिए है और किसी भी तरह से चिकित्सकीय सलाह नहीं है। धूम्रपान छोड़ने के लिए हमेशा डॉक्टर की सलाह लें।