यह रोबोट केवल 0.5 मिलीमीटर चौड़ा है और इसमें चार छोटे पैर हैं। यह एक कैमरे और एक लचीली ट्यूब से सुसज्जित है जिसके माध्यम से दवा या अन्य पदार्थ वितरित किए जा सकते हैं। रोबोट को एक पतली सुई के माध्यम से फेफड़ों में डाला जा सकता है और फिर यह अपने पैरों का उपयोग करके ऊतकों के माध्यम से चल सकता है।
रोबोट को वर्तमान में चूहों और सूअरों में परीक्षण किया जा रहा है और यह आशाजनक परिणाम दिखा रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि कुछ वर्षों के भीतर इसे मनुष्यों पर परीक्षण के लिए अनुमोदित कर दिया जाएगा।
यदि यह रोबोट सफल होता है, तो यह फेफड़ों के कैंसर और अन्य बीमारियों के निदान और उपचार में क्रांति ला सकता है। वर्तमान में, फेफड़ों के कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टरों को एक ब्रोंकोस्कोपी करनी होती है, जिसमें एक पतली ट्यूब को गले और फेफड़ों में डाला जाता है। यह प्रक्रिया असहज और यहां तक कि खतरनाक भी हो सकती है।
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यदि यह रोबोट सफल होता है, तो यह फेफड़ों के कैंसर और अन्य बीमारियों के निदान और उपचार में क्रांति ला सकता है। वर्तमान में, फेफड़ों के कैंसर का निदान करने के लिए डॉक्टरों को एक ब्रोंकोस्कोपी करनी होती है, जिसमें एक पतली ट्यूब को गले और फेफड़ों में डाला जाता है। यह प्रक्रिया असहज और यहां तक कि खतरनाक भी हो सकती है।
रोबोट का उपयोग करके, डॉक्टर फेफड़ों के ऊतकों के एक छोटे से हिस्से को हटाए बिना ही कैंसर कोशिकाओं की जांच कर सकेंगे। इससे मरीजों के लिए प्रक्रिया को बहुत कम दर्दनाक और कम जोखिम वाला बनाया जाएगा।
रोबोट का उपयोग फेफड़ों के कैंसर के उपचार के लिए भी किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, रोबोट का उपयोग सीधे कैंसर कोशिकाओं में कीमोथेरेपी दवाएं वितरित करने के लिए किया जा सकता है। इससे स्वस्थ ऊतकों को नुकसान होने का खतरा कम हो जाएगा और उपचार के प्रभावों में सुधार होगा।
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वैज्ञानिकों को यह भी उम्मीद है कि रोबोट का उपयोग फेफड़ों की अन्य बीमारियों, जैसे कि अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस के निदान और उपचार के लिए किया जा सके। कुल मिलाकर, यह नया रोबोट फेफड़ों के रोगियों के लिए एक गेम चेंजर हो सकता है। यह निदान और उपचार को आसान, सुरक्षित और अधिक प्रभावी बना सकता है।
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