Defeat Cancer: कैंसर से जंग जीतकर 6 साल बाद शहर पहुंचा शिवभजन, चेहरे पर मुस्कान लिए डॉक्टरों से कहा- शुक्रिया सर इसी कड़ी में आईआईटी भिलाई का एक दल अपना सामाजिक उत्तरदायित्व निभाते हुए दंतेवाड़ा जिले के समलूर गांव पहुंचा। सामुदायिक स्वास्थ्य जागरुकता और सशक्तिकरण कैंपेन की शुरुआत की गई है। इसमें आईआईटी भिलाई के ही साथ निर्मय कैंसर फाउंडेशन का भी सहयोग है। आईआईटी भिलाई के रसायन विज्ञान विभाग के डॉ. आर. मायिल मुरुगन, परियोजना पीआई इस कैंपेन का नेतृत्व कर रहे हैं।
कैंपेन के पहले दिन गांव के स्थानीय निवासियों व महिलाओं को स्त्री रोग संबंधी जागरुकता से जोड़ा गया। दंतेवाड़ा जिले के ग्रामीण व आदिवासियों का डेटा एकत्र करने की इस शुरुआत में ग्रामीणों से क्वेश्नायर भराए गए। ग्रामीणों से उनकी ही मूल भाषा में संवाद करने के लिए स्थानीय युवाओं की मदद ली गई। सर्वेक्षण के आधार पर पाया गया कि, कई लोग एससीडी से परिचित थे।
टीम के सदस्यों ने ग्रामीणाें को समझाया कि सिकलसेल वंशानुगत है और परीक्षण कर इससे दूसरों को बचाया जा सकता है। उन्हें शादी से पहले सिकलसेल कुंडली मिलान के लिए प्रेरित किया गया। इस कैंपेन के दौरान पता चला कि, आदिवासी आबादी के बीच कैंसर भी लगातार अपने पैर पसार रहा है। देखा गया है कि मुख्यधारा से दूर लोगों के पास बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं। आदिवासी आबादी में कैंसर का सबसे बड़ा कारण खाना पकाने के समय चुल्हे का धुआं है। टीम ने ग्रामीणों को इससे निजात के रास्ते भी बताए।