जोखिम लेने से डरना
अपने कम्फर्ट जोन पर टिके रहने का मतलब है कि शर्मिंदगी, निराशा, गुस्सा, उदासी या हताशा का सामना नहीं करना। जब व्यक्ति को एंजाइटी होती है तो वह खुद को बचाना चाहता है और जोखिम को कम करना चाहता है। इसलिए वह जोखिम से बचता है।अस्वस्थ महसूस करना
यह इम्युनिटी पर बुरा असर डालती है। सिरदर्द, धड़कन का बढ़ना, पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ होना आदि शामिल हैं।दोस्त बनाने में डरना
एंजाइटी से ग्रसित लोग नए लोगों से मिलने में व भावनात्मक रूप से खुद को जोड़ने में असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। छोटी विफलता पर ज्यादा सोचना: एंजाइटी एक प्रकृति होती है जो चीजों को वास्तविकता से कहीं ज्यादा बदतर समझने पर मजबूर कर देती है। बहुत ज्यादा बात करना : जब व्यक्ति एंजाइटी से ग्रसित होता है तो बहुत ज्यादा एक्टिव हो सकता है। उसके दिमाग में विचार तेजी से बदल सकते हैं। परिणामस्वरूप खुद से बहुत ज्यादा बात कर सकते हैं।
ज्यादा सोचना : जब चिंतित होते हैं, तो किसी परिस्थिति को समझने की बेताबी से कोशिश कर रहे होते हैं। हर घटना के बारे में ज्यादा सोचना शुरू कर देते हैं। ध्यान भटकना: एंजाइटी से ग्रस्त रहने वाले अपने विचारों में उलझे रहते हैं। आसानी से विचलित हो जाते हैं। अलग-अलग विचारों का आना आम बात है।
आलोचना करना: एंजाइटी से पीड़ित व्यक्ति खुद पर कठोर हो जाता है। आत्मविश्वास में कमी आती है। वह आसपास के लोगों की आलोचना करने लगता है।
ब्रीदिंग टेक्निक: तनाव को कम करने के लिए ब्रीदिंग टेक्निक फायदेमंद है। इसमें गहरी और धीमी सांस लेते हैं, जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में पहुंचती है।
बनाएं सपोर्ट सिस्टम: अपने किसी दोस्त, परिवार के सदस्य या मनोचिकित्सक को अपना सपोर्ट सिस्टम बनाना चाहिए, जिनसे अपनी बातें साझा कर सकें। बातें साझा करने से मन हल्का होता है।
ग्राउंडिंग टेक्निक: इसमें, जो चिंता वाली बात है उससे अपना ध्यान हटाकर किसी अन्य काम या बात पर लगाने की कोशिश करें।
स्ट्रेस मैनेजमेंट: अगर कोई तनाव की बात है, तो उस समस्या का सही आकलन करें व संभव समाधानों पर विचार कर एक सर्वश्रेष्ठ हल पर पहुंचने का प्रयास करें।
बचाव के तरीके
ध्यान-मेडिटेशन व एक्सरसाइज करना: एंजाइटी से राहत देता है। इससे तनाव कम होता है।ब्रीदिंग टेक्निक: तनाव को कम करने के लिए ब्रीदिंग टेक्निक फायदेमंद है। इसमें गहरी और धीमी सांस लेते हैं, जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में पहुंचती है।
बनाएं सपोर्ट सिस्टम: अपने किसी दोस्त, परिवार के सदस्य या मनोचिकित्सक को अपना सपोर्ट सिस्टम बनाना चाहिए, जिनसे अपनी बातें साझा कर सकें। बातें साझा करने से मन हल्का होता है।
ग्राउंडिंग टेक्निक: इसमें, जो चिंता वाली बात है उससे अपना ध्यान हटाकर किसी अन्य काम या बात पर लगाने की कोशिश करें।
स्ट्रेस मैनेजमेंट: अगर कोई तनाव की बात है, तो उस समस्या का सही आकलन करें व संभव समाधानों पर विचार कर एक सर्वश्रेष्ठ हल पर पहुंचने का प्रयास करें।