Mumps के शुरूआती लक्षणों में हल्का बुखार, थकान, सिरदर्द और भूख न लगना शामिल हैं, जो 3-4 दिनों तक रह सकते हैं। इसके बाद गाल और जबड़े के दोनों तरफ दर्द और सूजन होती है, जो 7-14 दिनों तक रह सकती है।
Mumps का कारण पैरामाइक्सोवायरस नामक वायरस होता है। बच्चों के अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी गुम्मे का खतरा होता है, खासकर पहले तिमाही में। अगर महिलाओं को बचपन में गुम्मे हुआ हो या वे टीका लगवा चुकी हों तो चिंता की कोई बात नहीं है। हालांकि, अगर संक्रमण हो जाए तो गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।
Mumps के कुछ गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं, जैसे अंडकोष की सूजन, दिमाग की सूजन, हृदय की मांसपेशियों की सूजन और अग्न्याशय की सूजन। ये परिणाम कम आम हैं, लेकिन गंभीर हो सकते हैं और आईसीयू में भर्ती होने का कारण बन सकते हैं।
आमतौर पर Mumps स्कूल या घर में किसी संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने से फैलता है। अगर आपके बच्चे को बुखार और गर्दन में सूजन हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उसे अलग रखें।
Mumps के मामलों में बढ़ोतरी का मुख्य कारण टीकाकरण दर में कमी है। बचपन में लगवाए जाने वाले एमएमआर (Measles, Mumps and Rubella) टीके से गुम्मे का बचाव होता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे को यह टीका लगा हुआ है।
इसके अलावा, समय के साथ टीके की रोगनिरोधी क्षमता कम हो सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, बच्चों को समय-समय पर टीके लगवाते रहें। सामाजिक और पर्यावरणीय कारक भी गुम्मे के फैलाव में योगदान दे सकते हैं। बच्चों के बीच बढ़ता हुआ संपर्क, खराब स्वच्छता और अपर्याप्त स्वच्छता की स्थिति वायरस के फैलाव में मदद कर सकती हैं।
बच्चे को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिलाएं।
नरम आहार दें ताकि चबाने में दर्द न हो।
पर्याप्त आराम करें।
सूजन को कम करने के लिए आइस पैक का इस्तेमाल करें।
दर्द और सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें।
संक्रमण से बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें।
अगर मामला गंभीर है तो डॉक्टर स्टेरॉयड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
माता-पिता को सलाह है कि वे अपने बच्चों को एमएमआर टीका लगवाएं और Mumps के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।