scriptकिशोरों में कुपोषण: अगली पीढ़ी में हो सकती है समस्या | Physical activity is necessary along with nutrition in adolescence | Patrika News
स्वास्थ्य

किशोरों में कुपोषण: अगली पीढ़ी में हो सकती है समस्या

National Nutrition Week 2021: किशोरावस्था में तेजी से शारीरिक, संज्ञानात्मक और मानसिक विकास होता है। इस उम्र में डाइट और फिजिकल एक्टिविटी से जुड़ी आदतें जीवनभर स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

Sep 03, 2021 / 05:25 pm

Deovrat Singh

food.png
National Nutrition Week 2021 किशोरावस्था में तेजी से शारीरिक, संज्ञानात्मक और मानसिक विकास होता है। इस उम्र में डाइट और फिजिकल एक्टिविटी से जुड़ी आदतें जीवनभर स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। यहां तक कि पांच साल से छोटे बच्चों में गंभीर कुपोषण की समस्या का संबंध माता-पिता(खासकर मां) के किशोरावस्था में कुपोषण से हो सकता है। इसलिए खान-पान की स्वस्थ आदतें अपनाएं।
व्यायाम भी है जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुसार किशोरों को प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट की मीडियम से हाई इंटेंसिटी फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए। इसमें शारीरिक श्रम, खेलों के साथ ही साइक्लिंग और वॉकिंग भी शामिल करें, लेकिन वैश्विक स्तर पर पांच में से एक ही किशोर इनकी पालना कर रहा है।
एक्सपर्ट
बढ़ती उम्र की आवश्यकतानुसार ही डाइट में न्यूट्रिशंस को शामिल करें। डाइट में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, जिंक, विटामिंस और फाइबर लें। याद रखें, सोशल मीडिया के प्रभाव में डाइटिंग करना अनहेल्दी है।

अदिति मेहरोत्रा,
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडियां(एफएसएसएआइ) एवं सह-संस्थापक आर्नी फिट किड्स
expert.png
कोरोना महामारी ने प्रभावित किया टीनएजर्स का स्वास्थ्य

कोविड-19 महामारी के दौरान मध्यम से उच्च आर्थिक वर्ग के किशोरों में मोटापे और कुपोषण की समस्या बढ़ी है। इससे पहले भी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में कुपोषण की व्यापकता उजागर हुई थी।
ऑनलाइन स्टडी कर रहे बच्चों की खान-पान की आदतों में बदलाव आया है। जंक फूड्स के अलावा ऐसे स्नैक्स की खपत बढ़ी है, जिनमें कैलोरी ज्यादा व पोषक तत्त्व कम होते हैं, जैसे बिस्किट, ब्रेड, मिठाई आदि।
कोरोना के कारण टीनएजर्स की आउटडोर प्ले एक्टिविटी बंद होने से एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी में भी कमी आई है। साथ ही सामाजिकता की कमी ने भी स्वास्थ्य को प्रभावित किया है।

पोषण में सुधार के लिए तीन कदम
अपने बच्चे के स्कूल में हेल्दी ईटिंग कैंपेन की शुरुआत करने के बारे में बात कर सकते हैं।
काम करने, पढऩे, टीवी देखने, सोशल मीडिया का उपयोग करने, मोबाइल पर गेम खेलने आदि एक्टिविटी के दौरान लंबी सिटिंग की आदतों से बचें। ये स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
अपने परिवार के साथ फिजिकल एक्टिविटी करने का प्लान बनाएं। इसकी प्रोग्रेस को भी नोट करते रहें।
सवाल जवाब
सवाल :- मुझे चिंता है कि मेरे बच्चे को COVID-19 होने का खतरा है। क्या वे अब भी गेम खेल सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्रिय रह सकते हैं?
जवाब :- डब्ल्यूएचओ के अनुसार, किशोर अभी भी ऐसे गेम खेल सकते हैं जो किसी भी देश में मौजूद सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों और बाहर घूमने पर प्रतिबंधों के अनुरूप हों। शारीरिक रूप से सक्रिय रहना शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। गतिविधियों या खेलों का अभ्यास करने के लिए प्रतिदिन 1 घंटे के लिएअपने बच्चे की एक नियमित दिनचर्या स्थापित करने में मदद करें, जिसमें दूसरों के साथ निकट संपर्क की आवश्यकता न हों। वे जॉगिंग, वॉकिंग, डांसिंग या योग जैसे इंडिविजुअल गेम खेल सकते हैं। वे घर के अंदर ही खेल का मैदान निर्मित कर सकते हैं, जैसे कि रस्सी कूदना, हॉप-स्कॉच या अपने भाईऔर बहनों के साथ खेलना, और पानी या रेत से भरी बोतलों जैसे वजन उठाने वाली गतिविधियों का अभ्यास भी कर सकते हैं। यदि आपके पास इंटरनेट की अच्छी पहुँच है, तो आप बच्चों को ऑनलाइन खेलों या फिटनेस कक्षाओं में शामिल होने में भी मदद कर सकते हैं या दोस्तों/सहपाठियों के साथ भी उनके ऑनलाइन शारीरिक व्यायाम सेट कर सकते हैं।
सवाल :- किशोरों में स्वस्थ आदतों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल क्या कर सकते हैं?
जवाब:- फ़ूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (एफएसएसएआई) के अनुसार, स्कूल स्वस्थ आदतों को इस तरह प्रोत्साहित कर सकते हैं:
• मज़ेदार और रचनात्मक तरीकों से पूरे पाठ्यक्रम में स्वस्थ भोजन और शारीरिक गतिविधि को शामिल करना
• स्कूल की कैंटीन में स्वस्थ भोजन देना
• व्यापक समुदाय के साथ साझेदारी बनाना, उदाहरण के लिए, स्थानीय खाद्य उत्पादक, खेल क्लब, पुस्तकालय आदि।
• विद्यार्थियों के माता-पिता को स्वस्थ भोजन विकल्पों और सक्रिय जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करना
• हेल्दी भोजन और एक्टिव रहने की सीख को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों और अन्य सहायक कर्मचारियों के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करना
• विद्यार्थियों को फल और सब्जियां खाने के लिए स्नैक ब्रेक को बढ़ावा देना
इसे समझें
बीएमआइ – आयु के अनुसार बॉडी मास इंडेक्स(बीएमआइ) की गणना व्यक्ति के वजन(किलोग्राम) में लंबाई (मीटर) का वर्ग करके भाग देकर की जाती है। इससे चर्बी की सीधे तौर पर गणना नहीं होती है। 5 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों को आयु और ***** के आधार पर ही पोषक तत्त्व दिए जाने चाहिए।
विभिन्न राज्यों में नरिशिंग स्कूल्स फाउंडेशन के भागीदारों द्वारा विकसित सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर किशोर अपने स्कूलों और समुदायों में कुपोषण से निपटने का कार्यभार कैसे संभाल सकते हैं, इसके उदाहरण:
• फार्म2फूड फाउंडेशन (आसाम) छात्रों को बीज दान यात्रा नामक अपने गांवों में एक संग्रह अभियान के माध्यम से स्कूल के बगीचे के लिए बीज और पौधे इकट्ठा करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
• फार्म2फूड फाउंडेशन (आसाम) ने छात्रों के साथ मिलकर स्थानीय त्योहार के हिस्से के रूप में सब्जियों की 101 स्थानीय किस्मों की पहचान की। इनमें से कई जिन्हें बाकी समुदाय द्वारा सक्रिय रूप से खेती नहीं की गई थी, उन्हें स्कूल के बगीचे में उगाया गया था।
• कई सहयोगी स्कूल के बगीचे को स्कूल के पाठ्यक्रम से जोड़ते हैं जैसे स्कूल के बगीचे के क्षेत्र की गणना करने के लिए गणित का उपयोग करना या बगीचे में उगाई जाने वाली फसलों की विशेषताओं को पहचानने के लिए विज्ञान के ज्ञान का उपयोग करना।

Hindi News / Health / किशोरों में कुपोषण: अगली पीढ़ी में हो सकती है समस्या

ट्रेंडिंग वीडियो