गंभीर ब्लड क्लॉटिंग- अस्पताल में भर्ती COVID-19 के युवा और बुजुर्ग मरीज जो ठीक होकर घर जा कुके है उनमें अब खून के थक्के बनने की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है. डॉक्टर्स का कहना है कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और पहले से बीमारी वाले लोगों में ब्लड क्लॉटिंग खतरनाक हो सकता है।
फेफड़ों और दिल को नुकसान- जिन मरीजों का खून गाढ़ा हो रहा है उन्हें COVID-19 के बाद गंभीर ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो रही है। जो सीधे फेफड़ों और दिल पर असर कर रहा है। एक स्टडी के मुताबिक ब्लड क्लॉट फेफड़ों में रुकावट डालकर सांस की तकलीफ जैसी कई समस्याएं पैदा कर सकते हैं। कुछ गंभीर मामलों में इसकी वजह से हार्ट अटैक भी आ सकता है।
किडनी खराब होना- जॉन हॉपकिंस मेडिसिन की एक स्टडी के मुताबिक ब्लड क्लॉटिंग की वजह से किडनी की रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से किडनी फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
थ्रोम्बोसिस- ब्लड से जुड़ा COVID-19 का एक और गंभीर खतरा डीप वेन थ्रोम्बोसिस का भी है। इसके होने से पैर की नसों में ब्लड क्लॉट बन जाता है। ज्यादातर लोगों को ये पैर के निचले हिस्से में होता है लेकिन कुछ लोगों को ये शरीर के अन्य हिस्से में भी हो सकता है. अगर इसका इलाज सही समय से ना किया जाए तो ये गंभीर हो सकता है।
शरीर में सूजन- कोरोना वायरस की वजह कुछ लोगों के शरीर में सूजन भी हो रही है. जब वायरस त्वचा पर हमला करता है तो ये खून के कई थक्के बना देता है जिसकी वजह से घाव और सूजन होने लगता है. इसमें बहुत दर्द होता है. इसलिए कोरोना के लक्षण में सूजन को अनदेखा ना करें।
त्वचा का रंग बदलना और चकत्ते पड़ना- स्किन में इन्फेक्शन होने क कतरे ज्यादा देखने व सुने को मिले है। वायरस का असर जब खून पर पड़ता है तो इसकी वजह से स्किन खराब होने लगती है. पैर की उंगलियों का अजीब हो जाना कोरोना के एक लक्षण के रूप में देखा जाता है लेकिन कई शोध से पता चला है कि ब्लड फ्लो पर वायरस के प्रभाव से स्किन का कलर भी बदलने लगता है।
स्ट्रोक का खतरा- कोरोना के मरीजों में स्ट्रोक आने का भी खतरा रहता है. ये खतरा उन्हें भी हो सकता है जिन्हें दिल से जुड़ी कोई बीमारी ना हो. ब्लड फ्लो का सही ना होना या फिर ब्लड क्लॉटिंग स्ट्रोक का मुख्य कारण हैं।