आंकड़ों की बात करें तो विदेशों में अधिक उम्र के लोगों में आत्महत्या की प्रवृत्ति है, जबकि भारत में 20-30 वर्ष के युवा सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं। अपने देश में युवा पुरुषों की तुलना में युवतियों की संख्या 2-3 गुना तक ज्यादा है।
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Major causes of suicide आत्महत्या के प्रमुख कारण
डिप्रेशन, नशा या दूसरे मानसिक कारण आत्महत्या के एक तिहाई मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं आवेश, बात न मानना, किसी वस्तु की चाहत, ब्रेकअप, परीक्षा में विफलता, बिजनेस में नुकसान, पारिवारिक कलह भी कारण हैं।
Waking up late at night increases the problem देर रात जागने से बढ़ती है समस्या
अक्सर देखा गया है कि जिनमें आत्महत्या के विचार आते हैं। वे अलग-थलग रहने लगते हैं। देर रात तक जागते हैं। नींद पूरी नहीं करते हैं। मोबाइल या कम्प्यूटर देर तक देखते हैं। कोई नशा करने लगते हैं। दिनचर्या पर ध्यान नहीं देते हैं। इसे अन-हैल्दी कोपिंग स्ट्रेटजी कहते हैं। इनसे आत्महत्या के विचार और बढऩे लगते हैं। इनसे बचें।
– गुस्से का इजहार करें।
– पंचिंग बैग पर गुस्सा न निकालें।
– तीन बार गहरी सांसें लें।
– गुस्से के पैटर्न को समझें।
– इसके लक्षणों को पहचानें।
– खुद को चुटकी काटें।
– गुस्सा आए तो ठहाके लगाएं।
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you don’t have to jump to conclusions जरूरी नहीं है कि आप निष्कर्ष ही दें
अगर आपको नहीं लगता है कि पीडि़त व्यक्ति को कोई अच्छी सलाह दे सकते हैं तो बेशक सलाह न दें। हर बार जरूरी नहीं होता है कि पीडि़त को सलाह चाहिए। ऐसे में उसकी बातों को सुनें और भरोसा दिलाएं कि आने वाले दिनों में अच्छा होगा।
आत्महत्या के विचार आना दोष नहीं है। इसका यह भी अर्थ नहीं है कि संबंधित का मानसिक संतुलन बिगड़ गया या वह पागल हो गया है। या फिर मानसिक रूप से कमजोर है। इसका केवल यह अर्थ है कि संबंधित व्यक्ति अधिक कष्ट में है। ऐसे में कोई व्यक्ति केवल उसकी बातों को संवेदना के साथ सुन ही ले तो भी उसकी मदद हो सकती है। साथ ही उसकी भड़ास भी निकल जाती है।
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adopt healthy coping strategies हैल्दी कोपिंग स्ट्रेटजी अपनाएं
आत्महत्या के विचारों से हैल्दी कोपिंग स्ट्रैटजी अपनाने से न केवल गलत विचार दूर होते हैं, बल्कि सकारात्मक सोच भी विकसित होती है। अगर किसी को आत्महत्या जैसे विचार आ रहे हैं तो अपने मित्रों-परिजनों से बात करें। उनसे अपनी समस्याएं साझा करें। फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें। कुछ क्रिएटिव करें। अपने शौक को समय दें। पर्याप्त नींद लें। पोषण वाला फूड समय से खाएं और तनाव वाले कारणों से दूरी बनाकर रहें। what to do during a tantrum गुस्से-आवेश के समय क्या करें – गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोडें़। साथ ही सांस पर भी ध्यान लगा सकते हैं। ऐसा कम से कम तीन बार जरूर करें।
– गुस्सा आए तो थोड़ी देर के लिए आंखें बंदकर बैठ जाएं।
– अपना मन पसंद गाना सुनें।
– अपने किसी भरोसेमंद दोस्त से बात करें।
– इन शब्दों से खुद को शांत करें।
– कुछ समय अकेले बिताएं।
– टहलना शुरू कर दें और अच्छी नींद लें।
– उल्टी गिनती करना भी मदद करेगा। उल्टी गिनती गिनने से आपको अपने गुस्से को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
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How to control anger ऐसे पाएं गुस्से पर काबूखुद को शांत करने व गुस्से पर नियंत्रण के लिए उस दृश्य के बारे में सोचें जब आप गुस्से में थे। तब आपने गुस्से में क्या कहा था? जितनी बार भी आप उस सीन के बारे में सोचेंगे, आपको खुद अपने बारे में विभिन्न प्रतिक्रियाएं मिलेंगी। अगली बार जब आप वैसी ही स्थिति में होंगे और क्रोध की दहलीज पार करने ही वाले होंगे, उनमें से कोई न कोई घटना आपको याद आएगी और आप बेहतर तरीके से घटना से निपट पाएंगे।
अचानक क्रोध आने या फिर कुछ दिनों से तुनकमिजाज होने और गुस्सा करने के थोड़ी देर बाद ही शांति और पश्चाताप से मन भर जाता है। तो इस स्थिति में अपने दिमाग में एक बड़े बोर्ड पर लिखे स्टॉप की कल्पना करें। अगर यह मुश्किल हो तो हाथ में एक रबर बैंड पहनें। जब भी गुस्सा लिमिट पार करने वाला हो, बैंड को देखें और खुद को कंट्रोल करने की कोशिश करें। खुद से पूछें कि जो गुस्सा आप दिखाने वाले हैं वो सही है या नहीं।
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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।