World Brain Tumor Day: सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाली बीमारी है ब्रेन ट्यूमर, जो ले सकती है आपकी जान
इस जानलेवा बीमारी का जितनी जल्दी पता चलता है, इलाज उतना ही कारगर होता है। जल्द ब्रेन ट्यूमर (symptoms of brain tumor in back of head) के भी रैपिड टेस्ट हो पाएंगे। इग्लैंड में 600 लोगों पर हुई एक स्टडी में ऐसा दावा किया गया है कि अब ब्लड टेस्ट से भी ब्रेन ट्यूमर का पता चल सकेगा। स्टडी में लगभग 80 से 90 परसेंट तक यह टेस्ट कारगर पाया गया है। वैसे अभी इस प्रकार की जांच भारत में शुरू नहीं हो पाई है।
न्यूरो सर्जन के अनुसार ऐसे मरीजों को अक्सर लंबे वक्त तक सिर में दर्द होता है। जो आम सिर दर्द बहुत अधिक होता। यह बीमारी कैंसर से भी ज्यादा तकलीफ देती है। इस बीमारी में अचानक मिर्गी का दौरा आना, आंखों की रोशनी कम होना, बातचीत में दिक्कत होना, मेमोरी में बदलाव होना आम बात है। अगर किसी इंसान में ऐसे लक्षण दिखते हैं तो ऐसे मरीजों को तुरंत न्यूरोलॉजी या न्यूरो सर्जन को दिखाना चाहिए।
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दो प्रकार के होते हैं ब्रेन ट्यूमर brain tumor types
ब्रेन ट्यूमर के पहले टाइप में यह ब्रेन के अंदर ही डिवेलप होता है। 80 परसेंट मामले में यह कैंसर होता है जो निकालने के बाद फिर से आ जाता है। वहीं दूसरा ब्रेन के कवरिंग में होने वाला ट्यूमर है। इसमें 80 परसेंट में कैंसर नहीं होता है। इसका बेहतर इलाज सर्जरी (brain tumor surgery) ही है। ग्रेड वन से लेकर फोर तक के ट्यूमर होते हैं, उसके अनुसार ही इलाज के बाद मरीज कितना और जी सकता है और कितने समय में ट्यूमर दोबारा हो सकता है, इसकी जानकारी मिलती है।
खतरनाक नहीं होता हर ट्यूमर
न्यूरो सर्जन के अनुसार भारत मे सेंट्रल नर्वस सिस्टम (CNS) ट्यूमर का ट्रेंड बढ़ रहा है, लेकिन सभी ट्यूमर कैंसर नहीं होते और जानलेवा नहीं होते हैं। बिनाइन ब्रेन ट्यूमर के इलाज के बाद
मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। इसके अलावा ब्रेन ट्यूमर इलाज के बाद भी दोबारा हो सकता है।