जीवनशैली से जुड़ी यह बीमारी जो दुनिया की लगभग 25 से 30 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करती है। भारत में इसका व्यापक प्रसार देखा गया है और करीब 40 प्रतिशत लोग एनएएफएलडी से प्रभावित हैं।
एनएएफएलडी क्या है? एनएएफएलडी ((fatty liver disease) ) का मतलब है कि जीवनशैली की विभिन्न आदतों के कारण लीवर में अत्यधिक मात्रा में वसा जमा हो जाती है। यदि बीमारी को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता है, तो इससे लीवर की क्षति या लीवर सिरोसिस (यकृत में घाव और स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त) हो सकता है।
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एनएएफएलडी क्या है? एनएएफएलडी ((fatty liver disease) ) का मतलब है कि जीवनशैली की विभिन्न आदतों के कारण लीवर में अत्यधिक मात्रा में वसा जमा हो जाती है। यदि बीमारी को लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता है, तो इससे लीवर की क्षति या लीवर सिरोसिस (यकृत में घाव और स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त) हो सकता है।
लीवर खराब होने के लक्षण हैं पीलिया (आंखों और त्वचा का रंग पीला पड़ जाना), त्वचा में खुजली, पेट के अंदर तरल पदार्थ की तरह पेट में सूजन, पैरों में सूजन और एनोरेक्सिया, जो फैटी लीवर के परिणाम हैं।
पीएसआरआई अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट और जीआई सर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ भूषण भोले ने कहा कि भारत में गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग के मामले उच्च दर से बढ़ रहे हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2022 तक भारत में लगभग तीन वयस्कों या बच्चों में से एक को एनएएफएलडी है। मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लीवर रोग ((fatty liver disease) ) (या एमएएफएलडी) के रूप में भी जाना जाता है, शिकागो, III में एंडोक्राइन सोसाइटी की वार्षिक बैठक ईएनडीओ 2023 में प्रस्तुत एक हालिया शोध के अनुसार फैटी लीवर हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और ए के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है।
अध्ययन से पता चला है कि फैटी लीवर ((fatty liver disease) का प्रमुख कारण अधिक खाना है। जब लीवर सामान्य तरीके से वसा को तोड़ने में सक्षम नहीं होता है तो वह उन्हें अपने भीतर संग्रहीत कर लेता है और वसा के बढ़ने से स्थिति अस्वस्थ हो जाती है।
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नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2022 तक भारत में लगभग तीन वयस्कों या बच्चों में से एक को एनएएफएलडी है। मेटाबॉलिक-एसोसिएटेड फैटी लीवर रोग ((fatty liver disease) ) (या एमएएफएलडी) के रूप में भी जाना जाता है, शिकागो, III में एंडोक्राइन सोसाइटी की वार्षिक बैठक ईएनडीओ 2023 में प्रस्तुत एक हालिया शोध के अनुसार फैटी लीवर हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और ए के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है।
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अध्ययन से पता चला है कि फैटी लीवर ((fatty liver disease) का प्रमुख कारण अधिक खाना है। जब लीवर सामान्य तरीके से वसा को तोड़ने में सक्षम नहीं होता है तो वह उन्हें अपने भीतर संग्रहीत कर लेता है और वसा के बढ़ने से स्थिति अस्वस्थ हो जाती है।
इसके अलावा, मोटापा, मधुमेह और ट्राइग्लिसराइड्स की उच्च मात्रा भी फैटी लीवर रोग को ट्रिगर करती है। फैटी लीवर रोग से खुद को कैसे बचाएं? डॉ. भूषण भोले ने सुझाव दिया, तले हुए और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित होना चाहिए। यदि आपके दैनिक आहार में ऐसे तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक होता है जिनमें अतिरिक्त तेल होता है या कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है तो इससे बचें।
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विशेषज्ञ ने कहा कि स्वस्थ लीवर के लिए सब्जियों और फलों से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए। डॉ. भोले ने कहा, उच्च फाइबर यकृत रोग की घटनाओं को कम कर सकता है क्योंकि यह स्वस्थ आंत माइक्रोबायोटा को उत्तेजित करता है और कम कैलोरी सेवन को बढ़ावा देता है।” हेपेटोलॉजिस्ट डॉ. सिरिएक एबी फिलिप्स ने एक ट्वीट में बताया कि कम कैलोरी वाले आहार पेय फलों के रस की तुलना में वजन कम कर सकते हैं। लीवर के लिए बेहतर विकल्प बिना चीनी वाली ब्लैक कॉफ़ी या चाय हैं।
इसके अलावा, 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार बिना चीनी की रोजाना एक कप ब्लैक कॉफी आपके लीवर को एनएएफएलडी से बचा सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि कैफीन असामान्य लिवर एंजाइमों की संख्या को कम करता है जिससे फैटी लिवर रोग का खतरा बढ़ सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
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