टीबी का टेस्ट बलगम के जीवाणु संवर्धन के जरिए किया जाता है, जिसमें लंबा समय लगता है। इस लम्बे समय वाले टेस्ट से उन रोगियों के लिए परेशानी खड़ी हो जाती है, जिन्हें उपचार की तत्काल आवश्यकता होती है। ऐसे में ब्लड टेस्ट बलगम की आवश्यकता से बचाता है और एचआईवी वाले रोगियों का टीबी का परीक्षण करता है। इसके लिए भी केवल 200 माइक्रोलीटर रक्त की आवश्यकता होती है, जो कि केवल कुछ बूंदें हैं। इस टेस्ट से दोनों टेस्ट की कोस्ट और टाइम दोनों को बचाया जा सकता है। इससे दोनों बीमारियों का समय से ईलाज शुरू हो जाता है।
यह टेस्ट उन विकासशील और उन देशों में बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, जहां पर टीबी से अधिक लोग संक्रमित हैं। पिछड़े हुए इलाके और वंचित कम्यूनिटी के बीच ये टेस्ट वरदान साबित हो सकता है। इन इलाकों में एचआईवी और टीबी दोनों ही तरह के संक्रमण तेजी से फैले होते हैं।