महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में भी पिछले कुछ महीनों में बच्चों में कण्ठमाला (Mumps) के मामले सामने आए हैं, जिससे ये बीमारी चिंता का विषय बन गई है। मम्प्स (Mumps) एक वायरल संक्रमण है जो बच्चों और युवाओं को प्रभावित करता है। यह पैरामाइक्सोवायरस के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मनुष्य ही एकमात्र ज्ञात प्राणी है जो कण्ठमाला (Mumps) वायरस का शिकार होता है। ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के ऊपरी श्वसन तंत्र से निकलने वाली हवा की बूंदों या सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
यह भी पढ़ें-पैर पसार रही है मम्प्स की खतरनाक बीमारी, जाने इसके लक्षण और बचाव यह तीव्र बुखार से शुरू होता है, जिसके बाद कान के आसपास दोनों तरफ दर्द और सूजन हो जाती है। शुरुआत में 3 से 4 दिन तक हल्का बुखार, थकान, सिरदर्द और भूख कम लगना होता है। इसके बाद, चेहरे के दोनों तरफ स्थित पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन आ जाती है, जिससे गाल और जबड़े में 7 से 14 दिनों तक दर्द, सूजन और तकलीफ रहती है।
फिलहाल, मम्प्सका कोई खास इलाज नहीं है। उपचार में मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने पर ध्यान दिया जाता है, जैसे कि: – खूब सारा तरल पदार्थ पीना
– सूजन कम करने के लिए गालों पर ठंडा सेंप लगाना
– नरम आहार लेना
– आराम करना
गर्भवती महिलाओं को अगर कण्ठमाला हो जाए तो उन्हें डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए।
बच्चों को मम्प्स से बचाने के लिए MMR (Measles, Mumps and Rubella) का टीका लगवाना जरूरी है। आमतौर पर बचपन में ही ये टीका लगाया जाता है, जो लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है।
– बच्चे को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिलाएं।
– नरम आहार दें ताकि चबाने में दर्द न हो।
– पर्याप्त आराम करें।
– सूजन को कम करने के लिए आइस पैक का इस्तेमाल करें।
– दर्द और सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाएं लें।
– संक्रमण से बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखें।
– अगर मामला गंभीर है तो डॉक्टर स्टेरॉयड का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।