लेकिन सिर्फ नवजात ही नहीं, बड़े बच्चों वाली माँओं को भी पूरी नींद नहीं मिल पाती। कभी टॉयलेट जाने की जिद, कभी कहानी सुनाने की फरियाद, तो कभी किशोर बच्चे की देर रात आने की चिंता – ये सब मिलकर माँ की नींद में खलल डालते रहते हैं।
यह नींद की कमी सिर्फ थकावट नहीं लाती, बल्कि यह माँ के मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) को भी प्रभावित करती है। पूरी नींद ना मिलने से चिड़चिड़ापन, गुस्सा, और उदासी जैसी चीजें हो सकती हैं।
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- शारीरिक थकावट : नींद पूरी न होने से माँ को शारीरिक रुप से कमज़ोरी महसूस हो सकती है।
- मनोवैज्ञानिक असर : नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, गुस्सा, और डिप्रेशन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
- दिमाग़ कमज़ोर होना : नींद पूरी न होने से दिमाग़ ठीक से काम नहीं कर पाता। इससे चीज़ों को याद रखने में परेशानी हो सकती है।
हर उम्र के बच्चों वाली माँओं को नींद की दिक्कत Mothers with children of all ages have sleep problems
यह सिर्फ नवजात शिशुओं की माँओं को ही नहीं, बल्कि बड़े बच्चों वाली माँओं को भी नींद की समस्या हो सकती है। छोटे बच्चे भी रात में उठ सकते हैं या उन्हें डर लग सकता है। बड़े बच्चे देर रात तक पढ़ाई कर सकते हैं या उनका आना-जाना देर रात का हो सकता है, जिससे माँओं की नींद पूरी नहीं हो पाती।
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- साथी का सहयोग : नींद पूरी करने के लिए पति या घर के अन्य सदस्यों का सहयोग बहुत ज़रूरी होता है। रात में बच्चे को संभालने की ज़िम्मेदारी बँटाई जा सकती है।
- दिन में थोड़ा आराम : जब बच्चा सो रहा हो तो माँ भी थोड़ा आराम कर सकती हैं।
- पूरी नींद का ध्यान रखें : रात को जल्दी सोने की कोशिश करें और दिन में ज़्यादा चाय या कॉफी ना पियें।
अगर आपको लगता है कि नींद की कमी की वजह से आपका मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें।