स्वास्थ्य

सुबह की बेचैनी का राज: शिशु का हार्मोन है जिम्मेदार, जानिए कैसे मिल सकती है राहत!

गर्भवती महिलाओं को होने वाली गंभीर मॉर्निंग सिकनेस, जिसमें पहली तिमाही में उल्टी और मतली होती है, के पीछे का कारण एक हार्मोन बताया जा रहा है. ये हार्मोन शिशु के विकास के दौरान बनता है.

Dec 15, 2023 / 10:27 am

Manoj Kumar

Morning Sickness Mystery Solved: Hormone Identified as Culprit

गर्भवती महिलाओं को होने वाली गंभीर मॉर्निंग सिकनेस, जिसमें पहली तिमाही में उल्टी और मतली होती है, के पीछे का कारण एक हार्मोन बताया जा रहा है. ये हार्मोन शिशु के विकास के दौरान बनता है.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि ‘जीडीएफ15’ नाम का हार्मोन दिमाग पर असर करता है और 70% महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस देता है. लेकिन 2% महिलाओं को इससे भी गंभीर रूप ‘हाइपरेमेसिस ग्रेविडारम’ होता है, जिसमें वजन कम होना, डिहाइड्रेशन और अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति बनती है.
इस खोज से मॉर्निंग सिकनेस के इलाज के लिए दवाएं बनने की उम्मीद बढ़ गई है, क्योंकि अब तक इसका असली कारण पता नहीं था.

नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि मॉर्निंग सिकनेस की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि शिशु कितना जीडीएफ15 हार्मोन बना रहा है और उससे पहले महिला इस हार्मोन के कितने संपर्क में आई थी.
“बच्चा गर्भ में इतना हार्मोन बना रहा होता है कि महिला का शरीर उसका अभ्यस्त नहीं होता. जितनी ज्यादा संवेदनशील होती है, उतनी ज्यादा बीमार होती है,” कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक स्टीफन ओ’राहिली ने बताया.
“इस खोज से हमें पता चलता है कि इसे कैसे रोका जा सकता है. साथ ही, हमें विश्वास है कि मां के दिमाग में मौजूद इस हार्मोन के रिसेप्टर को रोककर हम इस बीमारी का असरदार और सुरक्षित इलाज कर सकते हैं,” ओ’राहिली ने आगे कहा.
महत्वपूर्ण बात ये है कि जिस जीन की वजह से महिलाओं को हाइपरेमेसिस ग्रेविडारम का ज्यादा खतरा होता है, उस जीन के कारण गर्भावस्था से पहले महिलाओं के खून और शरीर के टिश्यू में जीडीएफ15 कम होता है.
इसी तरह, जिन महिलाओं को थैलेसीमिया नाम का ब्लड डिस्ऑर्डर होता है, उनके खून में जीडीएफ15 पहले से ही बहुत ज्यादा होता है और उन्हें मॉर्निंग सिकनेस नहीं होती.

चूहों पर किए गए प्रयोगों से भी पता चला है कि जीडीएफ15 के उच्च स्तर से उन्हें भूख न लगने की समस्या होती है, जिसका मतलब है कि उन्हें मॉर्निंग सिकनेस हो रही थी. लेकिन जिन चूहों को पहले से ही जीडीएफ15 दिया गया था, उन्हें बाद में ज्यादा हार्मोन देने पर ये लक्षण नहीं दिखे.
इससे वैज्ञानिकों को लगता है कि गर्भावस्था से पहले महिलाओं को इस हार्मोन के प्रति थोड़ा अभ्यस्त करवाने से मॉर्निंग सिकनेस को रोका जा सकता है.

एक शोधकर्ता मारलेना फेजो ने कहा, “अब जब हम हाइपरेमेसिस ग्रेविडारम का कारण जान चुके हैं, तो हमें उम्मीद है कि ऐसे इलाज विकसित हो सकते हैं जिनसे अन्य महिलाओं को यह गंभीर बीमारी न हो.”

Hindi News / Health / सुबह की बेचैनी का राज: शिशु का हार्मोन है जिम्मेदार, जानिए कैसे मिल सकती है राहत!

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.