स्वास्थ्य

Monkeypox का दिमाग पर हमला, दिमागी कोशिकाओं को बनाता है निशाना

टोरंटो: एक नए अध्ययन से पता चला है कि बंदर चेचक वायरस मस्तिष्क की कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है, जिससे दिमागी संबंधी लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह शोध उन लोगों के लिए चिंताजनक है, जो इस वायरस से संक्रमित हुए हैं।

Feb 17, 2024 / 01:47 pm

Manoj Kumar

Monkeypox Infiltrates Cells, Triggers Immune Response

टोरंटो में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि मंकीपॉक्स वायरस दिमाग की कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है, जिससे दिमागी समस्याएं हो सकती हैं। इससे पहले माना जाता था कि यह वायरस सिर्फ त्वचा और शरीर के अन्य अंगों को ही प्रभावित करता है।
मंकीपॉक्स वायरस मुख्य रूप से नजदीक शारीरिक संपर्क से फैलता है और छोटे फुन्सियों के साथ बुखार और शरीर में दर्द जैसे लक्षण पैदा करता है। पिछले साल मई से इस वायरस का बड़ा प्रकोप देखने को मिला था, जिसमें 100 से ज्यादा देशों में 86,900 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए थे।
अब अल्बर्टा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में मानव मस्तिष्क की कोशिकाओं को मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किया। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंन्स की पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में पाया गया कि मंकीपॉक्स वायरस मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में अहम भूमिका निभाने वाली एस्ट्रोसाइट नामक कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है। इससे दिमाग में बहुत तेज प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि एस्ट्रोसाइट मस्तिष्क में सबसे अधिक पाए जाने वाले तंत्रिका कोशिकाएं हैं। मंकीपॉक्स वायरस इन कोशिकाओं को आसानी से संक्रमित कर सकता है और दिमाग की कोशिकाओं को मार सकता है, जिसे पाइरोप्टोसिस कहते हैं।
अब तक मंकीपॉक्स वायरस को त्वचा, यौन संबंध या सांस की बूंदों से फैलने वाला माना जाता था। हाल के प्रकोप में खासकर पुरुष समलैंगिकों में इसके मामले ज्यादा देखे गए हैं। इसमें बुखार, शरीर में दर्द और फुन्सियों जैसे लक्षण आम हैं, लेकिन सिरदर्द, दिमागी भ्रम और दौरे जैसे दिमागी लक्षण भी देखे जा रहे हैं, जो दिमाग के ऊतकों में सूजन की ओर इशारा करते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों और खासकर दिमागी परेशानियों को देखते हुए यह समझना जरूरी था कि यह वायरस दिमाग को कैसे प्रभावित करता है। यह पहला अध्ययन है जिसमें दिमाग की कोशिकाओं को मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित करके अध्ययन किया गया है।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने इलाज की एक संभावना भी खोजी है। उन्होंने पाया कि डाइमेथिल फ्यूमरेट नामक दवा से मंकीपॉक्स से संक्रमित कोशिकाओं को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। यह दवा यूरोप में सोरायसिस के इलाज के लिए इस्तेमाल होती है और कनाडा व अमेरिका में मल्टीपल स्केलेरोसिस के इलाज में भी दी जाती है।
गौरतलब है कि फिलहाल मंकीपॉक्स के इलाज के लिए दो एंटीवायरल दवाएं और एक वैक्सीन उपलब्ध है। शोधकर्ताओं का कहना है कि वे मंकीपॉक्स और दिमाग पर अपना शोध जारी रखेंगे और यह भी पता लगाएंगे कि एचआईवी से संक्रमित लोगों में मंकीपॉक्स ज्यादा गंभीर क्यों होता है और इसकी मृत्यु दर ज्यादा क्यों है।

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