क्षेत्र में मलेरिया के अधिकांश मामले भारत में केंद्रित थे और लगभग 94 प्रतिशत मौतें भारत और इंडोनेशिया में हुईं। वहीं पिछले साल 2022 में मलेरिया के अनुमानित 249 मिलियन मामले थे, जो 2019 में महामारी-पूर्व के 233 मिलियन के स्तर से 16 मिलियन अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में 2022 में मलेरिया के 50 लाख अतिरिक्त मामले सामने आए और पांच देशों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। पाकिस्तान में सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई, 2021 में 500,000 की तुलना में 2022 में लगभग 2.6 मिलियन मामले सामने आए। इथियोपिया, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी और युगांडा में भी महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट में मलेरिया के बढ़ते मामलों में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे पर जोर दिया गया है। इससे पता चला कि तापमान, आर्द्रता और वर्षा में परिवर्तन मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीज मच्छर के व्यवहार और अस्तित्व को प्रभावित कर सकता है। चरम मौसम की घटनाएं, जैसे लू और बाढ़, भी सीधे तौर पर संचरण और बीमारी के बोझ को प्रभावित कर सकती हैं।