स्वास्थ्य

आखिरकार कैंसर के इस कारण का चल गया पता, भारत में सिगरेट नहीं पीने वालों को इसलिए हो रहा Lungs Cancer

Lung Cancer: सिगरेट नहीं पीने वालों को कैंसर होने का कारण पता चला है। आइए जानते हैं कि कैंसर को लेकर नई रिसर्च क्या कहती है।

नई दिल्लीNov 21, 2024 / 05:57 pm

Ravi Gupta

Lungs Cancer in Non Smokers: सिगरेट पीने वालों को फेफड़ों का कैंसर हो तो बात आश्चर्य की नहीं है। लेकिन नॉन स्मोकर्स को लंग्स कैंसर होने पर अक्सर ये सवाल उठता है कि इन्हें कैसे कैंसर हो गया। अगर आप इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं तो हम आपको यहां बताने जा रहे हैं। आखिर किस कारण से भारत में नॉन स्मोकर्स को फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer Cause in Non Smokers) हो रहा है।

भारत में नॉन स्मोकर्स को फेफड़ों का कैंसर अधिक

Lungs Cancer Cause in Non Smokers
अगर हम भारत में फेफड़ों के कैंसर की बात करें तो यहां पर नॉन स्मॉकर्स व स्मोकिंग करने वालों को लंग्स कैंसर की संख्या लगभग बराबर है। कई मेडिकल रिपोर्ट्स में ये बताया गया है कि भारत में फेफड़े के कैंसर के मामले में, स्मोकिंग करने वालों और स्मोकिंग ना करने वालों का अनुपात 50:50 है।

भारत में सिगरेट नहीं पीने वालों को क्यों हो रहा फेफड़ों का कैंसर

दिल्ली में वायु गुणवत्ता के लगातार खराब होने के बाद एक बार फिर लंग्स कैंसर को लेकर चर्चा हो रही है। इस पर विशेषज्ञों ने कहा है कि नॉन स्मोकर्स यानि धूम्रपान न करने वालों को फेफड़े का कैंसर वायु प्रदूषण की वजह से हो रहा है। लैंसेट के ई-क्लिनिकल मेडिसिन जर्नल की हालिया शोध से पता चला है कि भारत में फेफड़े के कैंसर के अधिकांश रोगी धूम्रपान न करने वाले हैं। यह वायु प्रदूषण के बढ़ते संपर्क के कारण हो रहा है।
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धूम्रपान न करने वालों में भी कैंसर के बढ़ते मामले- डॉ. आशीष गुप्ता

दिल्ली के एक कैंसर अस्पताल के विभाग के ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉ. आशीष गुप्ता ने बताया है, ”वैसे तो फेफड़े के कैंसर का कारक सिगरेट, पाइप या सिगार पीना है, मगर धूम्रपान न करने वालों में भी कैंसर के बढ़ते मामले देखने को मिल रहे हैं, जिसके पीछे मुख्‍य रूप से पैसिव स्मोकिंग, रेडॉन, वायु प्रदूषण, एस्बेस्टस (अभ्रक) और पारिवारिक इतिहास शामिल है। लंबे समय तक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के संपर्क में रहने से फेफड़े की कोशिकाओं में परिवर्तन हो सकता है, जिससे अनियंत्रित रूप से कोशिका वृद्धि हो सकती है।”

सांस लेने में तकलीफ की शिकायत अधिक

फिक्की-हेल्थ एंड सर्विसेज के अध्यक्ष डॉ. हर्ष महाजन ने बताया है, “पिछले महीने की तुलना में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत करने वाले मरीजों की संख्या में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें से अधिकांश मामले पहले से ही सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों से जुड़े हैं, जो प्रदूषण से प्रेरित सूजन के कारण बढ़ गई हैं।”

एन95 मास्क पहनकर निकलें बाहर

स्वास्थ्य को और खराब होने से बचाने के लिए विशेषज्ञों ने निवारक उपाय अपनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि एन95 मास्क पहनने के साथ जितना संभव हो सके बाहर निकलने से बचें। घर में हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए घरेलू एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
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