भारत में एक बार फिर से कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. सरकार ने अलर्ट किया है, लेकिन राज्यों में टेस्टिंग कम हो रही है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बड़े पैमाने पर टेस्टिंग न हो पाना भले ही मुश्किल हो, लेकिन इससे हमें पता चल सकेगा कि देश में हो रही सांस की बीमारियों का असली कारण क्या है.
हाल ही में एक सर्वे में पाया गया कि कोविड के लक्षण होने पर सिर्फ 9 में से 1 भारतीय ही टेस्ट करवा रहा है. इससे JN.1 वेरिएंट का समय पर पता लगाना मुश्किल हो सकता है, खासकर अगर यह कुछ लोगों में गंभीर बीमारी का कारण बन रहा है.
मुख्य बातें: भारत में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी, लेकिन टेस्टिंग कम हो रही है.
JN.1 वेरिएंट तेजी से फैल रहा है, विशेषज्ञों ने टेस्टिंग बढ़ाने की सलाह दी.
आम लोगों के लिए JN.1 गंभीर नहीं, पर जानकारी जरूरी है.
बुजुर्गों और बीमारों की टेस्टिंग जरूरी, सामान्य लोगों के लिए सावधानी.
संयुक्त कोविड-फ्लू टेस्ट एक विकल्प.
JN.1 वेरिएंट तेजी से फैल रहा है, विशेषज्ञों ने टेस्टिंग बढ़ाने की सलाह दी.
आम लोगों के लिए JN.1 गंभीर नहीं, पर जानकारी जरूरी है.
बुजुर्गों और बीमारों की टेस्टिंग जरूरी, सामान्य लोगों के लिए सावधानी.
संयुक्त कोविड-फ्लू टेस्ट एक विकल्प.
JN.1 क्या है? JN.1, ओमिक्रॉन वेरिएंट का ही नया रूप है. यह अगस्त में पहली बार देखा गया था और अब तक 41 देशों में फैल चुका है. तेजी से फैलने के कारण WHO ने इसे ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ (VOI) घोषित किया है.
भारत में अब तक JN.1 के 63 मामले पाए गए हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि फिलहाल आम लोगों के लिए यह ज्यादा खतरनाक नहीं है. यह 3-4 दिन में ठीक हो जाता है और अस्पताल तक पहुंचने की भी जरूरत नहीं पड़ती. इसी वजह से बड़े पैमाने पर टेस्टिंग की जरूरत नहीं है.
लेकिन, एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि जिन लोगों को खतरा ज्यादा है, जैसे कि 60 साल से ऊपर के लोग या मधुमेह, कैंसर, हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोग, उनका टेस्ट जरूर होना चाहिए. बाकी लोगों को सावधानी रखनी चाहिए, खासकर बुजुर्गों और बीमारों से दूरी बनानी चाहिए.
क्या टेस्टिंग का कोई और तरीका है? कुछ एक्सपर्ट्स सुझाव देते हैं कि कोविड के साथ-साथ फ्लू का भी टेस्ट किया जाए. क्योंकि फ्लू के मामले भी बढ़ रहे हैं और दोनों में लक्षण मिलते-जुलते हैं. ऐसा करने से बड़ी आबादी का टेस्ट हो पाएगा और दोनों वायरसों के बारे में जानकारी मिलेगी.
भारत में कोविड अभी खत्म नहीं हुआ है. JN.1 जैसे नए वेरिएंट भी खतरा बन सकते हैं. हांलाकि, फिलहाल बड़े पैमाने पर टेस्टिंग जरूरी नहीं है, लेकिन सावधानी रखना और टेस्ट करवाना जरूरी है, खासकर अगर आपको कोविड के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.