Coronavirus: कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन की दोनों डोज लेना जरूरी, जानिए क्यों
यह ‘वॉर्म’ वैक्सीन कोरोना वायरस के तमाम वेरिएंट के खिलाफ शरीर में ऐंटीबॉडी बनाने में कारगर रही है। इस वैक्सीन को वॉर्म यानी गर्म इसलिए कहा जा रहा है कि यह 90 मिनट तक सौ डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी सुरक्षित रह सकती है। साथ ही 37 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रहती है। यह खोज कोरोना वैक्सीन के लिहाज से मील का पत्थर साबित हो सकती है। आपको बता दें कि इस खोज को प्रोफेसर राघवन वरदराजन के नेतृत्व में किया गया था।
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क्या होती है वार्म वैक्सीन, जानिए फायदे
यह वैक्सीन फॉर्मूलेशन 37 डिग्री सेंटीग्रेड पर एक महीने तक स्थायी रह सकता है और 100 डिग्री सेंटीग्रेड पर 90 मिनट तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी के चलते फॉर्मूलेशन को वार्म वैक्सीन का नाम दिया गया है। अब तक किसी वैक्सीन को देश के किसी भी हिस्से में पहुंचाने के लिए कोल्ड चेन का निर्माण करना पड़ता है। उसी के माध्यम से एक से दूसरे राज्य या शहरों तक इसे पहुंचाया जा रहा है। इसी के चलते लोगों तक अभी भी वैक्सीन पहुंच से बाहर है। ऐसे में वार्म वैक्सीन का फॉर्मूलेशन बनाने से टीकाकरण की प्रक्रिया में तेजी आयेगी।