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गंगा कोरोना-मुक्त
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गंगा में कोरोना वायरस के संभावित अंशों की जांच के लिए 7 सप्ताह (15 मई से 3 जुलाई ) तक वाराणसी से सैंपल इकट्ठा किए। टीम ने आरएनए से सभी सैंपल का आरटी-पीसीआर टेस्ट भी किया। बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पल्रियोसाइंसेज के वैज्ञानिक और इंस्टीट्यूट में कोविड लैब के प्रमुख नीरज राय के हवाले से यह बताया गया, “हैरानी की बात है, गंगा से लिए गए किसी भी सैंपल में वायरल आरएनए के संकेत नहीं मिले। जबकि, गोमती नदी से लिए गए सैंपल में वायरल आरएनए की मौजूदगी देखि गई।
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लगभग 50 दिन चला रिसर्च
वैज्ञानिक गंगा के पानी में कुछ असाधारण गुण को खोजने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले महीने आईआईटी, गांधीनगर और जेएनयू के स्कूल ऑफ एन्वायरेन्मेंट साइंस के शोधकर्ताओं ने भी अहमदाबाद में साबरमती नदी से कोरोना वायरस की मौजूदगी की पुष्टि की थी। शोधकर्ताओं के अनुसार यह वायरस प्राकृतिक पानी में लंबे समय तक जीवित रह सकता है।
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अमेरिका की सीडीसी के मुताबिक, कोरोना वायरस के प्राकृतिक स्रोतों जैसे समुद्र, झील, पूल, हॉट टब में पानी से लोगों में फैलने के कोई पुख्ता सबूत नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी पानी से कोरोना वायरस के फैलने की संभावना को रद्द कर चुका है। महामारी के चरम पर नदियों में शव तैरते मिलते थे और नदी के किनारे शवों के दफनाने की खबर ने भी आमजन को डरा दिया था। अब वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि गंगा कोविड-फ्री है। Web Title: In the research of scientists, corona virus was not found in Ganga