क्या होती है कैंसर की स्क्रीनिंग
दरअसल, किसी भी बीमारी के बारे में निश्चित तौर पर तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता जब तक कि उसके लक्षण पूरी तरह उभर नहीं आते। अगर लक्षण बीमारी के बाद भी नजर नहीं आते हें तो चिकित्सक उनकी जांच करते हैं। इसी प्रक्रिया को स्क्रीनिंग करना कहते हैं। स्क्रीनिंग गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए सबसे अहम कदम है। स्क्रीनिंग से समय रहते किसी भी प्रकार के कैंसर की पहचान की जा सकती है जो अंतत: इलाज में important भूमिका निभाती है और रोगी को बचाना आसान हो जाता है।
03. रेडियॉन गैस के संपर्क में रहने पर (Harmful Gases)
जमीन में मौजूद पानी, यूरेनियम और चट्टानों के टूटने से रेडियॉन गैस निकलती है। यह घातक गैस हवा में घुलकर सांस लेने की प्रणाली को प्रभावित करता है। यह गैस शरीर के अन्य अंगों पर भी बुरा असर डालती है। इससे भी लंग कैंसर होने का खतरा होता है। घर में रेडिशॅन का लेवल जांचने के लिए बाजार में उपकरण मौजूद हैं। अगर जांच उपकरण में रेडियॉन गैस की अधिक मौजूदगी मिले तो तुरंत लंग्स की स्क्रीनिंग करवाएं।
04. आर्सेनिक जैसे रसायनों के संपर्क में आने पर
अगर आप घर या ऑफिस में लगातार अजबेस्टो या इसके जैसे ही अन्य खतरनाक रसायनों के संपर्क में रहते हैं तो आपको फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। क्रोमियम, ऑर्सेनिक और निकल जैसे रासायनिक पदार्थों के अधिक संपर्क में आने से फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा कईगुना बढ जा़ता है। ऐसे में धूम्रपान की लत आग में घी का काम करती है।
05. अनुवांशिक कारण भी होते हैं जिम्मेदार
अधिकतर मामालोंमें अनुवांशिक कारण भी केंसर के पीढ़ी दर पीढ़ी मौजूद रहने की एक बड़ी वजह है। अगर आपके परिवार में किसी भी व्यक्ति को कभी भी लंग कैंसर हुआ है तो आप भी एक बार अपनी जांच अवश्य करवा लें। अनुवांशिक कारणों से भी लंग कैंसर होने का खतरा रह़ता है।
डिसक्लेमर: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। राजस्थान पत्रिका इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।