बच्चों से लेकर वयस्कों में समस्या बढ़ी
1980 से ये बीमारी बड़ी तेज़ी से बढ़ रही है। वर्तमान में भारत के शहरी इलाकों में 20 से 40 प्रतिशत और गांवों में 12 से 17 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। बच्चों से लेकर वयस्कों में हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ती जा रही है। वल्र्ड हेल्थ स्टैटिस्टिक की 2012 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वैश्विक स्तर के मुकाबले हाइपरटेंशन के मरीज़ कम हैं। 25 साल से अधिक उम्र के पुरुष 23.10 प्रतिशत और 22.60 प्रतिशत महिलाएं हाइपरटेंशन से ग्रस्त हैं।
इन वजहों से दिक्कत
हाइपर टेंशन की दिक्कत डायबिटीज रोगियों, हाई कॉलेस्ट्रॉल के मरीजों में ज्यादा है। डायबिटीज रोगियों में हाइपर टेंशन की आशंका दोगुनी हो जाती है।
नमक की मात्रा ज्यादा
नमक की मात्रा ज्यादा, निष्क्रिय जीवन शैली, सब्जियां, फल अपेक्षाकृत कम खाने, जंकफूड व कोल्ड ड्रिंक का चलन बढऩे से दिक्कत बढ़ी है। नियंत्रित वजन, स्मोकिंग न करने व संतुलित खानपान से डायबिटीज, हाई कॉलेस्ट्रॉल के खतरे से बच सकते हैं।
हृदय रोगों का खतरा
बचपन में हाई बीपी है तो युवावस्था में हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है। मोटे बच्चों में वजन नियंत्रण न करने से बीमारियों की आशंका बढ़ती है। आधुनिक जीवनशैली व खानपान प्रमुख कारण है।
पानी की कमी से भी हाइपर टेंशन
युवा फिजिकल गेटअप के लिए जिम जाते हैं लेकिन नियमित व्यायाम नहीं करते। पानी की कमी से भी हाइपर टेंशन की दिक्कत होती है। शहरों में ई-सिगरेट, हुक्का, सिगरेट और गांवों में गुटखा, तम्बाकू, बीड़ी पीने से दिक्कत बढ़ा रही है।
– डॉ. विनय सोनी, फैमिली फिजिशियन, जयपुर