आप कॉन्टैक्ट लेंस लगाते हैं तो इसे निकल कर ही खेलें। अगर किसी के नाखून अधिक बढ़ें हैं तो काट दें वरना इनमें कैमिकल जम सकते हैं। इससे भी रिएक्शन हो सकता है। कोशिश करें कि पूरी अस्तीन के कपड़ें पहनें, इससे बचाव होगा। शरीर की सरसों के तेल से मालिश करने के बाद होली खेले। तेल की मालिश केवल शरीर में ही नहीं सिर में भी अच्छे से करें। तेल लगाने के बाद रंग और पानी का असर कम होता है। बीच-बीच में सूखे रंगों को झाड़ दें, ये स्किन खराब करते हैं। चेहरे पर एसपीएफ 26 वाली सनस्क्रीन लगाने से भी बचाव होता है। इसके साथ ही बीच-बीच में पानी भी पीते रहें, शरीर हाइड्रेट रहेंगे। त्वचा सही रहती है।
कलर आदि से स्किन एलर्जी हो जाए तो सामान्य पानी से धोएं। स्किन को धोते समय ध्यान रखें कि ज्यादा जोर से न रगड़ें। इससे स्किन डैमेज हो जाती हैं। स्किन में जलन होती है तो नारियल या सरसों का तेल लगाएं। इसके बाद आराम नहीं मिल रहा है तो स्किन एक्सपर्ट को दिखाएं। आंखों में कलर चला जाए तो सामान्य पानी से आंखों को घोएं। अगर आंखों में जलन हो रही है तो गुलाब जल डाल सकते हैं। जिनको एलर्जी होती है वे केवल ईको फ्रेंडली कलर यूज करें। पक्के रंग हेयर डाई जैसे होते हैं इनसे अधिक एलर्जी की आशंका रहती है। जिनको अस्थमा की परेशानी है उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए। कैमिकल और गुलाल के पाउडर से अस्थमा की समस्या बढ़ती है।
नेचुरल रंगों से संक्रमण व एलर्जी की आशंका नहीं रहती है। पहले ऐसे ही रंगों से लोग होली खेलते थे। नेचुरल कलर को आसानी से छुड़ाया भी जा सकता है। इसमें आप हल्दी, बेसन, गेंदे के फूल से पीला रंग बना सकते हैं। गुड़हल व गुलाब के फूलों से गुलाबी रंग बना सकते हैं। चुकंदर का प्रयोग करके भी लाल रंग बनाया जा सकता है। हरी पत्तेदार सब्जियों व मेथी से हरा रंग तैयार कर सकते हैं। टेसू के फूल, मौसमी के सूखे छिलके से नारंगी रंग बनाएं।
कुछ लोग स्किन पर लगे रंग को जबरन हटाने लगते हैं यह ठीक नहीं है। इससे स्किन को नुकसान होता है। जानते हैं कुछ तरीकों के बारे में जिनको अपनाकर रंग को आसानी से हटा सकते हैं। नींबू का रस और दही का लेप त्वचा पर लगाएं, रंग जल्दी छूटते हैं। इस लेप को 10 मिनट बाद पानी या कच्चे दूध से क्लीन कर लें। नींबू के रस में चीनी मिलाकर स्किन पर लगाने से रंग छूटते हैं। सेंधा नमक में ऑलिव/लेवेंडर तेल मिलाकर स्क्रब करना चाहिए। इससे भी रंग छूटता है। हल्दी-बेसन का लेप भी रंग हटाने के लिए बेहतर विकल्प है।
छींके आना, नाक से पानी निकलना या नाक का बंद होना, आंखों का लाल होना या आंखों में खुजली होना, सांस लेने में कठिनाई होना या सीटी की आवाज आना, त्वचा पर लाल चकत्ते पडऩा या फिर सूजन आना आदि लक्षण दिख सकते हैं। अगर किसी को ऐसे लक्षण दिखे तो तुरंत चर्म रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।
होली की समस्याओं से बचाव में होम्योपैथी दवाइयां कारगर हैं। होम्योपैथी में रंगों की एलर्जी से बचाव के लिए दवाइयां-क्रीम हैं। जिनको रंगों से एलर्जी है वे भी बचाव के लिए अपना सकते हैं। रंगों से स्किन में एलर्जी होने पर भी कई दवाइयां कारगर हैं। एलर्जी से बचाव के लिए एंटीनियाजमेटिक दवाइयां होती है। इन दवाइयों को लेने से एलर्जी का असर कम होता है। कुछ दवाइयां है जिनको नारियल तेल-ग्लिसरीन में मिलाकर लगाते हैं। कुछ दवाइयां भी हैं इनको खा सकते हैं, एलर्जी नहीं होती है। आंखों में लालिमा के लिए यूफ्रेशिया और सिनेरेरिया आई ड्रॉप है। टॉक्सिक खाने या फूड प्वॉइजनिंग से बचाव के लिए भी दवाइयां
डॉ. सुरेंद्र कुमार लाथोड़, स्किन डिजीज एक्सपर्ट & डॉ. पुनीत आर शाह, होम्योपैथी विशेषज्ञ