योग करने के लिए समय का काफी महत्व है। ऐसा तो नहीं हो सकता कि आप किसी भी समय प्रणाम करें और आपको बराबर ही फल मिले। प्राणायाम करने के कुछ खास समय हैं । अगर इस समय के दौरान आप अपने योगाभ्यास को करते हैं तो आप संपूर्ण लाभ उठा सकते हैं। सुबह सूर्योदय के समय किया गया परिणाम सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और लाभदायक माना जाता है। इस समय में योगा करने से आपको इसके संपूर्ण लाभ मिलते हैं । वजन कम से लेकर कई प्रकार की बीमारियों को इस समय में किया गया प्राणायाम दूर करता है। साथ ही सुबह के समय योगा करने से आपको दिनभर तरोताजा रहने और फ्रेशनेस महसूस करने में मदद मिलती है।
यदि आप चाहते हैं कि आपको योगा करने का संपूर्ण लाभ मिले तो इसके लिए यह अत्यंत जरूरी है कि आप सही समय पर योगा करें । साथ ही वहां का माहौल भी सही हो शांत माहौल में योगा करने से आप अपने चित्त को शांत करके ध्यान मग्न हो सकतें हैं।
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तीन चरणों में करें प्राणायामएलर्जी और फेफड़ों की बीमारी से बचने के लिए तीन चरणों में प्राणायाम करें। सबसे पहले कपालभाति, फिर नाड़ी शोधन और इसके बाद भस्त्रिका प्राणायाम करें। कपालभाति फेफड़ों की सफाई के साथ पेट-पाचन को ठीक रखता है। पेट पर जमे फैट को कम करता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम जीवन शक्ति के संचार का काम करता है। यह खून को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाने वाली नाड़ी का शोधन करता है। आलस, थकान और उदासी आदि दूर होगी और आप ऊर्जावान महसूस करेंगे। वहीं भस्त्रिका प्राणायाम खून की सफाई कर शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाता है। इससे खून से एसिड की मात्रा कम होती है। असल में यह एसिड शरीर की इम्युनिटी को कम करता है।
प्राणायाम का समय सुबह छह बजे से पहले का है। पद्मासन, सिद्धासन अथवा सुखासन में बैठकर ही करें। हर प्राणायाम के बाद एक-दो गहरे लंबे सांस भरकर धीरे-धीरे छोड़ें और सांस को विश्राम दें। सांस उखड़े तो प्राणायाम न करें। बीमारी है तो विशेषज्ञ की सलाह से ही प्राणायाम करें। हृदय रोग, पेट की सर्जरी, अल्सर रोगी और गर्भवती महिला प्राणायाम न करें। पीरियड्स में कपालभाति व भस्त्रिका प्राणायाम न करें।
इन आसनों से लाभ
भुजंगासन, उष्ट्रासन, गोमुखासन, सर्वांगसान, सेतुबंध आसन से भी एलर्जी व फेफड़ों के रोगों से बचाव होता है। योगासन में सांस रोकने की क्षमता शुरुआत में 25-30 सेकंड रखें लेकिन बाद में एक-सवा मिनट तक कर सकते हैं। आसन करते समय सांस पर ध्यान केंद्रित रखें।