1. घाव भरने के लिए
हमारी शरीर पर कहीं चोट लग जाने पर घाव से बैक्टीरिया त्वचा में प्रवेश कर सकते हैं। जिससे हम संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इसके लिए आप निंबोली का इस्तेमाल कर सकते हैं। चोट वाले स्थान पर निंबोली का लेप लगाने अथवा इसका सेवन करने से आप संक्रमण से बच सकते हैं। क्योंकि इससे बैक्टीरिया को अंदर घुसने का रास्ता नहीं मिल पाएगा। नीम में घाव भरने के गुड होते हैं जिससे यह आपकी चोट को जल्द से जल्द ठीक होने में मदद करती है।
2. इंफेक्शन से बचाव के लिए
मानसून के मौसम में नीम के फल यानी निंबोली का सेवन करने अथवा नीम के पत्तों से नहाने पर शरीर में बैक्टीरिया की प्रवेश करने या संक्रमण का खतरा बहुत कम हो जाता है। नीम की पत्तियों से लेकर इसकी छाल, इसके फल हर पदार्थ में एंटी-बैक्टेरियल गुण उपस्थित होते हैं, जो हमारी त्वचा में बैक्टीरिया की ग्रोथ होने से बचाता है।
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3. त्वचा समस्याओं के लिए
पुराने समय से त्वचा समस्याओं को दूर करने के लिए निंबोली से निकाला गया तेल का उपयोग होता आया है। यहां तक कि बहुत से सौंदर्य उत्पादों में निंबोली का प्रमुख घटक के रूप में उपयोग किया जाता है। आप त्वचा संबंधी समस्याओं जैसे कील-मुंहासे, फंगल इंफेक्शन, परतदार त्वचा आदि को ठीक करने के लिए निंबोली का उपयोग कर सकते हैं।
त्वचा के दाग-धब्बों को दूर करने के लिए निंबोली का पेस्ट फायदेमंद होता है। इसके अलावा चेहरे की रंगत निखारने के लिए भी निंबोली के फायदे देखे गए हैं। नीम के तेल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो पिंपल्स, एग्जिमा अथवा सोरायसिस जैसी विभिन्न प्रकार की त्वचा समस्याओं का उपचार करने में सहायक होते हैं।
4. मलेरिया में लाभदायक
मच्छर के काटने से फैलने वाली संक्रामक बीमारी यानी मलेरिया से ग्रसित रोगी के लिए नीम के बीज के बहुत फायदे होते हैं। मलेरिया का घरेलू उपचार करने के लिए नीम को एक औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो, निंबोली को पीसकर इसका लेप लगाने से मच्छर पास में नहीं आते हैं। जिससे मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से होने वाले संक्रमण अथवा उनके काटने से बचा जा सकता है। साथ ही नीम के बीज से प्राप्त तेल का इस्तेमाल करने पर मच्छरों को पास में आने से रोका जा सकता है।