तुलसी के पत्तों की चाय बनाने की विधि :
तुलसी के पत्तों की चाय बनाने के लिए सबसे पहले आप एक पैन में 1 कप पानी डालें। फिर उसमें 3-4 तुलसी की पत्ती डाल दें। इसके बाद इसे गैस पर रख दें और पानी को उबाल लें। वहीं इसके बाद आप इसमें 1 चम्मच शहद और आधा चम्मच नींबू का रस डाल दें और फिर इसके बाद इसे आप पी सकते हैं। इस तरह से आप तुलसी की पत्तियों की चाय बना सकते है।चाय पीने के फायदे
ब्लड शुगर लेवल को करे कंट्रोल :
नियमित रूप से रोजाना अगर तुलसी की चाय का सेवन किया जाए तो इससे आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। लेकिन अगर आप डायबीटीज के मरीज हैं तो तुलसी की चाय में शहद का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा तुलसी की चाय पीने से शरीर में कार्बोहाइड्रेट और फैट का मेटाबॉलिज्म सही रहता है जिससे खून में मौजूद शुगर आपको एनर्जी देने का काम करता है।स्किन के लिए फायदेमंद :
तुलसी की पत्तियों में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा पाई जाती है जो हमारी स्किन को निखारने का काम करता है। साथ ही एंटी एजिंग को भी कम करता है। इसलिए रोज आप चाय में तुलसी की पत्तियां डालकर उसका सेवन कर सकते हैं। ये आपकी स्किन के लिए काफी अच्छा हो सकता है।तनाव में असरदार :
आजकल रोजमर्रा की जिन्दगी में तनाव होना आम बात है। कभी घर के लोगों के कारण तो कभी काम के कारण तो कभी फ्यूचर को लेकर स्ट्रेस होता रहता है। ऐसे में तुलसी की चाय बहुत असरदार होती है और आपको टेंशन से तुरन्त आराम देती है।वजन नियंत्रित करे :
तुलसी की चाय गैस्ट्रिक जूस के स्राव को बढ़ाकर पाचन सहायता के रूप में कार्य कर सकती है जो पाचन तंत्र के सुचारू कामकाज में सहायता करता है। मजबूत एंटी-अल्सरोजेनिक गुण पेप्सिन स्राव और लिपिड पेरोक्सीडेशन को रोकते हैं और गैस्ट्रिक म्यूसिन और श्लेष्म कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि करते हैं जो एसिड और रोगजनक हमले के खिलाफ जठरांत्र संबंधी मार्ग की रक्षा करते हैं। प्रतिदिन तुलसी की चाय पीने से कार्ब्स और प्रोटीन का त्वरित अवशोषण होता है, वसा धीरे-धीरे टूटती है जिससे भूख नियंत्रित होती है और आप तृप्त रहते हैं और अतिरिक्त वसा शरीर से बाहर निकलता है।सांस संबंधी समस्याएं हो दूर :
तुलसी की चाय के सेवन से सांस संबंधित कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है। तुलसी के सेवन से कफ को बाहर निकालने में मदद मिलती है। ये बलगम को पतला कर सकता है। साथ ही खांसी को भी दूर करने में उपयोगी है। तुलसी के अर्क से अस्थमा के रोगियों में फेफड़ों के कार्य क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और सांस लेने की क्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है। रिसर्च पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।