उपयोगी टिप्स
सबसे पहले शुद्ध पानी और साफ-सुथरा ताजा व ढका हुआ भोजन करें। यथासंभव बाहर का और तला हुआ मसालेदार खाने से बचें।
आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में आहार में कसैले, हल्के कड़वे खाद्य पदार्थ भी भोजन में शामिल करने चाहिए। शरीर में दोषों की स्थिति को बैलेंस करने और शरीर को डिटॉक्सीफाई करने के लिए करेला व नीम, हल्दी व मेथी सहित कड़वी जड़ी- बूटियां व सब्जियां खा सकते हैं।
विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए पानी सहित गुणकारी तरल पीएं।
उपवास या व्रत, शरीर को डिटॉक्स करने का आयुर्वेदिक तरीका है। सप्ताह में कम से कम एक बार व्रत जरूर करें।
नीम, चंदन, चमेली, एलोवेरा, हल्दी, गुलाब जैसे एसेंशियल ऑयल हर्बल पाउडर, शॉवर वॉश व साबुन के रूप में शामिल किए जा सकते हैं।
वातवृद्धि के इस मौसम में नहाने या गर्म स्नान करने से आधे घंटे पहले ठंडे तिल या नारियल के तेल से मालिश करना फायदेमंद हो सकता है। ताजे नीम के पत्ते या त्रिफला चूर्ण को पानी में उबालें व ठंडा करें। इस पानी से अपने पैर धोएं।
ये उपाय रहेंगे कारगर
गुडुची या गिलोय
यह डेंगू के कारक के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करती है। डेंगू बुखार से ग्रसित एक गिलास पानी में घोलकर इसका सेवन कर सकते हैं।
कालीमिर्च
नाक व गला संबंधी समस्याओं में रात को सोने से पहले एक चुटकी पिसी कालीमिर्च में एक चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें।
हर्बल चाय
अदरक, कालीमिर्च, शहद, पुदीना, सेंधा नमक व तुलसी के पत्तों से इसे तैयार करें व खुद को ऊर्जावान बनाएं।
अदरक
इसे चाय या दूध में उबाल-कर पीएं। हल्के काले नमक के साथ भोजन पूर्व लेने से पाचन अच्छा होता है।
नीम
इसे एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए जाना जाता है। डेंगू के खिलाफ भी इसका उपयोग प्रभावी है। इसके पौधों से पत्तियों का अर्क, डेंगू वायरस के प्रभाव को रोकता है।
लहसुन
इस तरह लहसुन को घी में भूनकर खाने से सर्दी-जुकाम से बचा जा सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।